वचन को बनाएं प्रभावशाली एवं लाभकारी : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

फतेहगढ़। 31 मार्च, 2025

वचन को बनाएं प्रभावशाली एवं लाभकारी : आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ के एकादशम् अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी का फतेहगढ़ प्रवास का दूसरा दिवस। पूज्य सन्निधि में आज कच्छ समाज द्वारा कच्छ स्तरीय मंगलभावना समारोह एवं दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। परम पूज्य आचार्यश्री का चातुर्मास वर्ष 2025 में अहमदाबाद में निर्धारित है। अहमदाबाद से अनेक श्रद्धालुजन दायित्व ग्रहण करने हेतु पूज्यवर की सन्निधि में पहुँचे। पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए शांतिदूत आचार्यश्री ने फरमाया — “जैन वाङ्मय में ‘दसवेंआलियं’ नामक आगम है, जिसके सातवें अध्ययन में भाषा संबंधी दिशा-निर्देश दिये गये हैं। वहाँ कहा गया है कि मित्रतापूर्ण, निर्दोष और विचारपूर्वक बोलने वाला व्यक्ति प्रशंसा का पात्र बनता है।”
हमारे दैनिक जीवन में भाषा का अत्यंत महत्त्व है। वाणी के माध्यम से हम अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। साधना-संयुक्त निर्देशक द्वारा आत्म-कल्याणकारी भाषण एवं संवाद की दिशा दी जाती है, जिससे श्रोताओं को भी लाभ प्राप्त होता है। तीर्थंकर प्रभु ने भी अपनी वाणी द्वारा देशना दी थी। आज तकनीकी युग में वक्ता की वाणी दूर-दूर तक सुनी जा सकती है। भाषा एक सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा हम कल्याणकारी विचार प्रकट कर सकते हैं। परंतु यह भाषा मित, सीमित एवं संयमित होनी चाहिए। वाणी के दो दोष बताए गए हैं — बात को अनावश्यक रूप से लंबा करना और निष्प्रभावी/असार बात करना। वहीं वाणी के दो गुण हैं — परिमित और सारगर्भित बोलना। 'वचन रतन, मुख कोट है, होठ कपाट बणाय। समझ-समझ हरफ काढ़िए, मत परवश पड़ जाय।।'
वाणी बोलने से पूर्व थोड़ा विचार करें, तो वह वचन अधिक प्रभावशाली एवं लाभकारी सिद्ध हो सकता है। भगवान महावीर की वाणी आज हमें आगमों के रूप में प्राप्त है। आचार्य भिक्षु के साहित्य से उनकी दिव्य वाणी का साक्षात्कार किया जा सकता है। आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की वाणी का भी अनेक जनों को अनुभव हुआ है। एक-एक प्रवचन जीवन में प्रेरणा देने वाला बन सकता है। हमारी वाणी निर्दोष होनी चाहिए। बिना कारण किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहिए।
कच्छ यात्रा के विभिन्न चरण
कच्छ यात्रा का उल्लेख करते हुए पूज्यवर ने कहा — “कच्छ से पहले सौराष्ट्र की यात्रा हुई। भुज में मर्यादा महोत्सव का आयोजन हुआ, जो गुजरात में आयोजित प्रथम मर्यादा महोत्सव था। एक बार मैं आचार्य महाप्रज्ञजी की वाणी को चरितार्थ करने आया था और दूसरी बार अपनी भावना से। अनेक संतों-आचार्यों से मिलना हुई। जहां पूज्य डालमुनि व्याख्यान देते थे, उस स्थान पर भी जाना हुआ और उनके विराजित पट्ट पर बैठना हुआ।” आज कच्छ से विदाई का मंगल समारोह आयोजित हो रहा है। सौराष्ट्र की यात्रा पहली बार ही हुई है। मुनिश्री सुमेरमलजी 'सुदर्शन' की भावना थी कि कच्छ और सौराष्ट्र की यात्रा एक साथ हो। गुरुदेव तुलसी ने भी अहमदाबाद चातुर्मास से पूर्व इन दोनों क्षेत्रों में पदार्पण किया था, और मेरा भी इस बार वैसा ही कार्यक्रम बना।
आज अहमदाबाद से विशाल श्रावक समाज की उपस्थिति है। एक ओर कच्छ से विदाई और दूसरी ओर अहमदाबाद की ओर अग्रसर होना है। प्रेक्षा विश्व भारती में धर्म, अध्यात्म और जनकल्याण के कार्य अधिक विकसित होते रहें।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने कहा — “पूज्य डालगणी ने मुनि अवस्था में कच्छ के बेला क्षेत्र में चातुर्मास किया था। उनकी वाणी में ओज था, लोग चाव से उन्हें सुनते थे। वे सदैव आचार-विचार की प्रेरणा देते थे। गुरुदेव तुलसी ने भी कच्छ की यात्रा की थी। आचार्यवर ने अनेक सम्प्रदायों के साधु-साध्वियों से संवाद किया और सौहार्दपूर्ण वातावरण में धर्म प्रभावना की। पूज्यवर के पदार्पण से कच्छ में तेरापंथ की एक अमिट छवि बनी है।” साध्वीवर्या श्री संबुद्धयशा जी ने कहा — “व्यक्ति को समय का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, अन्यथा पश्चाताप हो सकता है। जीवन की चार अवस्थाएँ — बाल्य, किशोर, युवा और वृद्धावस्था — में हमें चिंतन करना चाहिए कि कहीं हम प्रमाद में जीवन तो नहीं गंवा रहे हैं। जीवन क्षणभंगुर और अस्थायी है, इसका सदुपयोग करना चाहिए।”
मंगलभावना समारोह
मंगलभावना समारोह में अपनी पैतृक भूमि में नवदीक्षित मुनि कैवल्यकुमारजी, साध्वी गौरवयशाजी, साध्वी नवीनप्रभाजी, एवं समणी हिमप्रभाजी ने अपने हृदयोदगार व्यक्त किए। आदर्श संघवी व हीराभाई पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए। कड़वी समाज के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति दी। फतेहगढ़ की ओर से चंदू भाई संघवी, अरविंदभाई डोशी, नरेन्द्रभाई मेहता, मोहनभाई संघवी व महेश गांधी ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। साध्वी मंगलयशाजी द्वारा लिखित साध्वी मूलांजी की जीवनी ‘कच्छ की पहली किरण’ पुस्तक आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित की गई। चतुर्मास व्यवस्था समिति-अहमदाबाद ने किया सेवा दायित्व ग्रहण
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में ध्वज हस्तांतरण कार्यक्रम का आयोजन भी था। इस संदर्भ में कच्छ-भुज के लोग व अहमदाबाद से भी काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस संदर्भ में भुज मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कीर्तिभाई संघवी व चतुर्मास व्यवस्था समिति-अहमदाबाद के अध्यक्ष अरविंद संचेती ने अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी। इसके उपरान्त भुज व्यवस्था समिति के सदस्यों द्वारा अहमदाबाद चतुर्मास व्यवस्था समिति को ध्वज हस्तांतरित किया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए मंगलपाठ सुनाया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।