
गुरुवाणी/ केन्द्र
योजना निर्माण के लिए समय का अवबोध है महत्वपूर्ण : आचार्यश्री महाश्रमण
जिनशासन के प्रभावक आचार्य 'सवाया कच्छी पूज' आचार्यश्री महाश्रमणजी की कच्छ यात्रा समापन की ओर है। परम पूज्य रापर से लगभग 13 किमी का विहार कर सेलारी के सांदीपनि विद्या मंदिर परिसर में पधारे। मंगल देशना प्रदान कराते हुए पूज्यवर ने फरमाया कि शास्त्र की वाणी है - पण्डित पुरूष ! तुम क्षण को जानो। समय का मूल्यांकन करना चाहिये। समय कितनी काम की चीज होती है। जो आदमी समय को व्यर्थ गंवा देता है, वह स्वयं उतने अंश में मानो व्यर्थ बन जाता है। जो समय को जितना सार्थक करता है, वह स्वयं उतने अंश में सार्थक बन जाता है।
समय का सदुपयोग किया जा सकता है तो कोई दुरूपयोग भी कर सकता है तो कोई अनुपयोग की स्थिति में भी रह सकता है। समय है, उसमें अच्छा काम करें। साधु ने रात का समय ध्यान-जप में लगा दिया, दिन में स्वाध्याय में लगा दिया, बचे हुए समय को सेवा में लगा दिया तो समय का सदुपयोग हो गया। बुद्धिमान का समय शास्त्र-काव्य की चर्चा में बीतता है पर जो मूर्ख-अज्ञानी है वह अपना समय व्यसन, आलस्य और लड़ाई-झगड़े में बिताएगा। हमें दिन-रात में 24 घंटे मिलते हैं, उनमें से 2-2 मिनट समय निकाला जाये तो 48 मिनट एक सामायिक का कालमान मिल सकता है। सुबह-सुबह की मंगल बेला में सामायिक करना अमृत के समान है। हमारे यहां शनिवार सायं को भी सामायिक होती है।
विद्यालयों में प्रार्थना होती है उसमें भी अच्छे भावों वाली प्रार्थना हो तो प्रेरणा मिल सकती है। अच्छी चीज को देखना, अच्छी चीज को सुनना और अच्छी चीज का उच्चारण करने से भीतर में अच्छे भावों का संचार हो सकता है। अच्छी भावना से हमारे मन में हिंसा आदि की भावना नहीं आ सकती। मन में समता रहती है। अर्हत वन्दना में आगमों की वाणी है। भाव भीनी वन्दना से भी कितनी प्रेरणा मिलती है। हम भगवान की स्तुति-वन्दना करें, प्रार्थना न करें। प्रार्थना करना तो याचक हो जाता है। हमारे यहां प्रार्थना शब्द नहीं चलता है।
समय-अवसर का लाभ उठायें। पहले से सोचकर समय को पकड़ कर रखें। कल से वि.सं. 2082 लग रहा है। हम पहले सोचें और फिर समय का अच्छा लाभ उठावें। समय बीतने पर लौटता नहीं है। कार्य की पहले से रूपरेखा बनाकर कार्य करें। रूपरेखा के बाद क्रियान्विति करें तो कार्य सफल हो सकता है। बिना योजना के कार्य अव्यवस्थित हो जाते हैं या रुक जाता है। योजनाबद्ध कार्य से अच्छी निष्पति आ सकती है। आचार्यश्री के स्वागत में हंसाबेन खांडोर, बालिका वृत्ति व जिंसी डोसी ने गीत का संगान किया। अनूपचंद मोरबिया, स्थानीय सरपंच महेश चौधरी, विद्या मंदिर की शिक्षिका नमिता सोनी, समग्र जैन समाज-सेलारी की ओर से धर्मेश डोसी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमार जी ने किया।