‘कैसे थामे रिश्तों की डोर’ कार्यशाला का आयोजन

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चिकमगलुरु।

‘कैसे थामे रिश्तों की डोर’ कार्यशाला का आयोजन

चिकमगलुरु। साध्वी सोमयशाजी के सान्निध्य में 'कैसे थामे रिश्तों की डोर कार्यशाला' का आयोजन किया गया। कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के मंगलाचरण से हुई। महिला मंडल की बहनों ने संकल्प गीत का संगान किया। साध्वी सोमयशाजी ने 'महिला' शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा की महिला ममता, हिम्मत और लज्जा की प्रतिरूप होती है। साध्वी ऋषिप्रभा जी ने कहा की रिश्तों की डोर को मजबूत बनाने के लिए धैर्यवान होना जरूरी है।
साध्वी डॉ. सरलयशाजी ने कहा कि रिश्ते तरह-तरह के होते हैं। आपने रिश्तों में मजबूती बनाने के लिए 3 टी का फार्मूला समझाते हुआ कहा कि टॉलरेंस, टॉक और ट्रस्ट ज़रूरी है। कार्यशाला में यह भी समझाया गया कि रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा का विकास, स्वास्थ्य, व्यसनमुक्त परिवार, स्वतंत्रता, संगठित होना ये सारे मुख्य बिन्दु हैं। इस अवसर पर महिला मंडल की अध्यक्ष गुणवन्ति नाहर के साथ महिला मंडल परिवार की अच्छी उपस्थिति रही। करुणा गादिया ने आभार व्यक्त किया।