आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष

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समारोह

आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष

आगामी आषाढ शुक्ला त्रयोदशी तदनुसार ८ जुलाई २०२५ को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आद्यअनुशास्ता परम पूज्य आचार्यश्री भिक्षु के जन्म त्रिशताब्दी वर्ष का शुभारंभ हो रहा है। यह वर्ष जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के लिए एक महत्त्वपूर्ण वर्ष है। इस वर्ष के समायोजन की रूपरेखा यहां प्रस्तुत है-
नाम : भिक्षु चेतना वर्ष
शुभारंभ : वि.सं. २०८२ आषाढ शुक्ला त्रयोदशी, ८ जुलाई २०२५
संपन्नता : वि.सं. २०८३ आषाढ शुक्ला त्रयोदशी
पावन निर्देशन : युगप्रधान परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण
चरण, महाचरण एवं अन्य आयोजन
प्रथम चरण (शुभारंभ)– वि.सं. २०८२ आ. शु. १३-१५, ८-१० जुलाई २०२५, प्रेक्षा विश्व भारती, अहमदाबाद
द्वितीय चरण– वि.सं. २०८२ भाद्रपद शुक्ला ११-१३, ३-५ सितम्बर २०२५, प्रेक्षा विश्व भारती, अहमदाबाद
महाचरण (कंटालिया प्रवास)– वि.सं. २०८२ पौष कृष्णा ११ से पौष शुक्ला ७, १५-२७ दिसम्बर २०२५, कंटालिया
तृतीय चरण–
वि.सं. २०८२ माघ शुक्ला ११-१३/१४, २९-३१ जनवरी २०२६, छोटी खाटू
चतुर्थ चरण (संपन्नता)– वि.सं. २०८३ आषाढ शुक्ला ११-१३, लाडनूं
१. यथासंभवतया सामान्यतया गुरुकुलवास व बाहर प्रत्येक शुक्ला १३ के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के प्रवचन निर्धारित विषयों पर हों। निर्धारित तिथियां एवं विषय इस प्रकार हैं-

८ जुलाई २०२५ वि.सं. २०८२ आषाढ शुक्ला १३ आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष शुभारंभ समारोह
९ जुलाई २०२५ वि.सं. २०८२ आषाढ शुक्ला १४ आचार्य भिक्षु द्वारा रचित संविधान
१० जुलाई २०२५ वि.सं. २०८२ आषाढ पूर्णिमा तेरापंथ का उद्भव
७ अगस्त २०२५ वि.सं. २०८२ श्रावण शुक्ला १३ आचार्य भिक्षु की अनुशासन शैली
३ सितम्बर २०२५ वि.सं. २०८२ भाद्रपद शुक्ला ११ तेरापंथ तब और अब
४ सितम्बर २०२५ वि.सं. २०८२ भाद्रपद शुक्ला १२ तब तक तेरापंथ चलेगा
५ सितम्बर २०२५ वि.सं. २०८२ भाद्रपद शुक्ला १३ आचार्य भिक्षु के जीवनकाल के अंतिम 
भाद्रपद महीने की शिक्षाएं
५ अक्टूबर २०२५ वि.सं. २०८२ आश्विन शुक्ला १३ दान : एक विश्लेषण
३ नवम्बर २०२५ वि.सं. २०८२ कार्तिक शुक्ला १३ दया : एक विश्लेषण
३ दिसम्बर २०२५ वि.सं. २०८२ मार्गशीर्ष शुक्ला १३  मिथ्यात्वी की करणी : एक विश्लेषण
१ जनवरी २०२६ वि.सं. २०८२ पौष शुक्ला १३ आचार्य भिक्षु की समझाने 
की शैली (सात दृष्टान्त)
२९ जनवरी २०२६ वि.सं. २०८२ माघ शुक्ला ११ चोर का दृष्टान्त : अध्यात्म का वृत्तान्त
३० जनवरी २०२६ वि.सं. २०८२ माघ शुक्ला १२  कषायी भी बने अकषायी
३१ जनवरी २०२६ वि.सं. २०८२ माघ शुक्ला १३/१४ कुशील से सुशील की ओर
१ मार्च २०२६ वि.सं. २०८२ फाल्गुन शुक्ला १३ साध्य साधन शुद्धि
वि.सं. २०८३ चैत्र शुक्ला १३ भगवान महावीर और आचार्य भिक्षु वि.सं. २०८३ वैशाख शुक्ला १३ पुण्य बंध: एक विश्लेषण
वि.सं. २०८३ प्र. ज्येष्ठ शुक्ला १३ आश्रव का जीवत्व : एक विश्लेषण
वि.सं. २०८३ द्वि. ज्येष्ठ शुक्ला १३ अल्प पाप, बहु निर्जरा
वि.सं. २०८३ आषाढ शुक्ला ११ आचार्य भिक्षु का ज्ञान वैभव
वि.सं. २०८३ आषाढ शुक्ला १२ आचार्य भिक्षु का साहित्य संसार
वि.सं. २०८३ आषाढ शुक्ला १३ आचार्य भिक्षु त्रिशताब्दी 
वर्ष समापन समारोह

 

 

 

 

 

 

 

 

 


महाचरण के दौरान यथासंभवतया प्रत्येक दिन आचार्य भिक्षु से संबंधित विषयों पर प्रवचन आदि हो सकेंगे।
२. यथासंभवतया प्रत्येक शुक्ला १३ को रात्रि में आंशिक धम्म जागरणा का आयोजन किया जा सकता है। सिरियारी में समय की अवधि यथानुकूलता रह सकती है।
जप और तप
१. व्यक्तिगत रूप में 'ॐ भिक्षु-जय भिक्षु' का सवा लाख जप यथेष्ट किया जा सकता है।
२. प्रत्येक शुक्ला १३ को उपवास, एकासन, विगयवर्जन आदि यथेष्ट तप किया जा सकता।
स्वाध्याय
१. इस वर्ष तेरापंथ धर्मसंघ में विशेषतया 'भिक्खु जस रसायन' तथा 'भिक्षु विचार दर्शन' का यथासंभव स्वाध्याय किया जाए।
२. इस वर्ष में भिक्खू दृष्टान्त, अनुकम्पा री चौपाई, नवपदार्थ, व्रताव्रत री चौपाई, विनीत-अविनीत री चौपाई, इंद्रियवादी री चौपाई, मिथ्यात्वी री करणी- इन सात ग्रंथों का वाचन भी किया जा सकता है।
३. अग्रांकित पुस्तकों का भी यथासंभवतया स्वाध्याय किया जा सकता है-
• भिक्षु वाणी - आचार्य महाश्रमण
• आचार्य भिक्षु की अनुशासन शैली - साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा
• आचार्य भिक्षु - शासन गौरव मुनि बुद्धमल
• ऐसे थे भिक्षु - मुनि मोहनलाल 'आमेट’
• आचार्य भिक्षु के विचारों की प्रासंगिकता - मुनि महेन्द्रकुमार
४. श्रावक समाज में तेरापंथ प्रबोध कंठस्थ करने का भी यथासंभव क्रम चले।
५. तेरापंथ प्रबोध पर आधारित व्याख्यान प्रवचन भी किया जा सकता है।
दायित्व
१. इस वर्ष से संबंधित अपेक्षित योजना निर्माण, क्रियान्वयन, व्यवस्थापन, संपर्क, प्रचार-प्रसार आदि का दायित्व जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा का रहेगा।
२. गुरुकुलवास में चारों चरणों और महाचरण के आयोजन का दायित्व आयोजन क्षेत्र की प्रवास व्यवस्था समिति का रहेगा। अपेक्षानुसार तेरापंथी महासभा से परामर्श व पथदर्शन प्राप्त किया जा सकता है और महासभा भी यथापेक्षा उन्हें निर्देशन-इंगित दे सकती है।
३. गुरुकुलवास में अपेक्षानुसार कोई संगोष्ठी आदि आयोजित करनी हो तो प्रवास व्यवस्था समिति द्वारा उसका आयोजन किया जा सकता है।
४. गुरुकुलवास से बाहर में आयोज्य कार्यक्रमों का दायित्व स्थानीय तेरापंथी सभा का रहेगा।
साभार : विज्ञप्ति - वर्ष 31, अंक 4 (11-17 अप्रैल 2025)