
गुरुवाणी/ केन्द्र
ऋजुता नहीं है तो शुद्धि के आगे है प्रश्नचिह्न : आचार्यश्री महाश्रमण
संयम के सुमेरु आचार्यश्री महाश्रमणजी चडोतर के महावीर धाम परिसर में पधारे। अमृत देशना प्रदान कराते हुए अमृत पुरुष ने फरमाया कि साधना के क्षेत्र में ऋजुता का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रश्न किया गया कि मोक्ष-निर्वाण को कौन प्राप्त कर सकता है ? कहा गया कि जिसके जीवन में धर्म होता है, वह निर्वाण को प्राप्त कर सकता है। फिर प्रश्न किया गया कि धर्म किस आदमी के जीवन में ठहरता है? शास्त्र में कहा गया है कि शुद्धता जहां है, वहां धर्म ठहरता है। फिर प्रश्न किया गया कि शुद्धि किसकी होती है? आगम में कहा गया है कि जो ऋजुभूत है, उसकी शुद्धि होती है।
छठे गुणस्थान में भी गलती हो सकती है। सरलता से जो गुरु को अपनी गलती बता देता है, तो शोधि हो सकती है। गुरु से गलती मत छिपाओ। ऋजुता नहीं है तो शुद्धि के आगे प्रश्नचिह्न है। बच्चे जैसी सरलता आ जाए।
'भूल छिपाना पाप, बात बताओ साफ।
यहां बचोगे पर नहीं, आगे होगी माफ।'
सरलता में भी धर्म है। झूठे और छलकपटी का विश्वास नहीं किया जा सकता। बात कहें, तो साफ कहें। सरलता से स्वीकार कर लें। हम अपने जीवन में ऋजुता पर ध्यान दें, सरलता रहे। छल-कपट न हो। भरोसा हट जाना बड़ी क्षति है। माया अविश्वास बढ़ाती है, सरलता से भरोसा बढ़ सकता है। छल-कपट से एक बार काम को सुलझाया जा सकता है, पर पाप का घड़ा एक दिन फूटता है। गृहस्थ जीवन में छल-कपट से बचें। सरलता रहे, तो आत्मा का कल्याण हो सकता है। पूज्यवर के स्वागत में महावीर धाम से नवीन मोदी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।