अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

मंत्री मुनि सुमेरमल ‘लाडनूं’

(3) चारित्र मार्ग

प्रश्‍न-7 : चारित्र कौन से गुणस्थान में होते हैं?
उत्तर : सामायिक व छेदोपस्थापनीय छठे से नौवें, परिहार विशुद्धि छठे व सातवें, सूक्ष्म संपराय दसवें तथा यथाख्यात ग्यारहवें से चौदहवें गुणस्थान में होता है।

प्रश्‍न-8 : चारित्र छह द्रव्य में कौन व नौ तत्त्व में कौन है?
उत्तर : पाँचों ही चारित्र छह मे जीव, नौ में परिहार विशुद्धि तीनजीव, संवर, निर्जरा, शेष चार चारित्र दोजीव, संवर। परिहार विशुद्धि चारित्र तपस्यामूलक होने से उसमें निर्जरा भी मानी गई है।

प्रश्‍न-9 : चारित्र कौन सा भाव व कौन सी आत्मा है?
उत्तर : चारित्रभाव चार-औदयिक को छोड़कर
आत्मा एक चारित्र। (क्रमश:)