पाप कर्मों के बंधन में आसक्ति का बड़ा योग होता है : आचार्यश्री महाश्रमण
चौथ का बारवाड़ा,
16 दिसंबर, 2021
अहिंसा यात्रा प्रणेता महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण जी 9 किलोमीटर का विहार कर चौथ का बारवाड़ा स्थित चौथ माता ट्रस्ट द्वारा संचालित धर्मशाला में पधारे। जन-जन के उद्धारक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि एक आदमी ने गीली मिट्टी का गोला दीवार पर फैंका तो मिट्टी दीवार पर चिपक गई। दूसरे आदमी ने सूखी मिट्टी का गोला दीवार पर फैंका, मिट्टी दीवार पर चिपकी नहीं, नीचे गिर गई। यह एक दृष्टांत शास्त्र में दिया गया है, आसक्ति और अनासक्ति को बताने के लिए मानो एक आदमी आसक्ति से कार्य करता है, पदार्थों में, व्यक्तियों में आसक्ति रखता है, तो कर्म के पुद्गल भी चिपक जाते हैं। आसक्ति नहीं है, तो गहरा बंधन नहीं होता। हमारा जीवन पदार्थाधारित है। जीवन जीना है तो पदार्थों का भी उपयोग करना होता है। पर उनमें आसक्ति न हो, अनासक्ति हो। आसक्ति एक प्रकार से दु:ख का कारण है। अनासक्ति अदु:ख का कारण है। पाप कर्म के बंधन में भी आसक्ति का बड़ा योग रहता है। अनासक्ति है, तो गहरा पाप का बंध नहीं हो सकता। आदमी संसार में रहते हुए लिप्त न रहे, जैसे कमल पत्र। ये मोह, आसक्ति, कामना संसार में दु:ख का बड़ा कारण है। कामानुवृत्ति से मनुष्य ही नहीं, देवों के भी दु:ख पैदा हो जाता है। साधु अकिंचन है, पर कहीं मोह का भाव आ सकता है। साधु के त्याग है, वो बड़ी बात है। संयम है। साधु इंसान है, पर महात्मा है, इसलिए लोग वंदन करते हैं। त्याग का सम्मान है। मोह-माया छोड़ने पर संतता की प्राप्ति होती है। यह एक प्रसंग से समझाया कि बहुमूल्य रत्न से महँगा संयम रत्न है। गृहस्थ ध्यान रखें कि गलत तरीके से पैसा न कमाएँ। नीति-नियत से अर्थाजन करें। गृहस्थ के घर में पैसा भी शुद्ध रहे। अन्याय-अनीति से पैसा कमाया है तो आगे फल भोगना होगा। वर्तमान जीवन में पापाचार से बचने का प्रयास करें। जुबान से झूठ, मायामृषा न बोलें। इससे तिर्यंच गति का बंध हो सकता है। यह एक प्रसंग से समझाया। पाप और पुण्य का फल मिलता है। तेरापंथ सभा चौथ का बरवाड़ा से महावीर जैन, क्षेत्रीय सभा के अध्यक्ष अनिल जैन, मंत्री नरेंद झंडेवाला, दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष विनोद जैन, अक्षय गोयल, कौशल्या, चौथ का बरवाड़ा के सरपंच बसंतीलाल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल व नीरज जैन ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। अंकित जैन ने संस्कृत भाषा में गीत का संगान किया। पूर्व कैबिनेट मंत्री व खंडार विधायक अशोक बैरवा ने आचार्यश्री के दर्शन व मंगल प्रवचन श्रवण के पश्चात अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूँ जो आज मुझे अपने क्षेत्र में राष्ट्र के महान संत आचार्यश्री महाश्रमण जी के दर्शन, प्रवचन श्रवण और स्वागत करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। आपके मंगल प्रवचन को सुनने के बाद मुझे लगा कि आपके संदेश में दुनिया को बदलने की क्षमता है। पूज्यप्रवर ने अहिंसा यात्रा के तीन संकल्पों को समझाकर स्थानीय लोगों को स्वीकार करवाए। संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया। मुख्य नियोजिका जी ने कहा कि धर्म आचरण में आए। हमारा आचरण अच्छा होगा तो व्यक्ति अपने आपको धार्मिक कह सकता है।