
संस्कारों से भावित हो विद्यार्थी का जीवन : आचार्यश्री महाश्रमण
जयाचार्य कॉलेज, जयपुर,
29 दिसंबर, 2021
करुणा के महासागर आचार्यश्री महाश्रमण जी जयपुर भ्रमण करते हुए आज प्रात: तेरापंथ शिक्षण समिति के जयाचार्य कॉलेज पधारे। अमृत देशना प्रदान करते हुए परम पावन ने फरमाया कि वर्तमान अवसर्पिणी काल में इस भरत क्षेत्र में जैन शासन के मंतव्य के अनुसार चौबीस तीर्थंकर हुए हैं। भगवान ॠषभ प्रथम तीर्थंकर और भगवान महावीर चौबीसवें तीर्थंकर हुए हैं। 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ हुए हैं। आज पौष कृष्ण दशमी-भगवान पार्श्वनाथ की जन्म जयंती है। भगवान पार्श्वनाथ को पुरुषादानीय के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वे आकर्षण के एक केंद्र हैं। लोकप्रिय तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर तो सभी समान ज्ञान, चारित्र वाले होते हैं। पर जनमानस में भगवान पार्श्व के प्रति विशेष आकर्षण प्रतीत हो रहा है। भगवान पार्श्व वर्तमान में भी पुरुषादानीय रूप में प्रतिष्ठित है। धरणेंद्र और पद्मावती भी भगवान पार्श्व से जुड़े हुए हैं। वे भगवान के भक्त, दिव्य शक्तियाँ हैं। उनके पूर्व भव की घटना को फरमाया। तीर्थंकरों के साथ देव शक्ति का योग होता है। अध्यात्म-जगत के अधिकृत प्रवक्ता भगवान पार्श्व थे। भगवान पार्श्व के साथ गीत-मंत्र-स्त्रोत भी जुड़े हुए हैं। उपसर्गहर स्तोत्र प्रसिद्ध हैं। स्तोत्र का उच्चारण किया। कल्याण मंदिर स्तोत्र भी भगवान पार्श्व से संबंधित है। हम भगवान पार्श्व को याद करें। उनकी स्मृति में गुरुदेव तुलसी का रचित गीत, ‘प्रभु पार्श्व देव चरणों में शत्-शत् प्रणाम हो’ का सुमधुर संगान किया। आज हम इस विद्या संस्थान में आए हैं। विद्यार्थी जीवन में नैतिकता के विकास में, शिक्षक एक निर्माता होता है। शिक्षक का जीवन ऐसा हो जिससे विद्यार्थी उनके जीवन से शिक्षा ले सके। जीवन विज्ञान से विद्यार्थियों में संस्कार युक्त शिक्षा आए। ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार आएँ। विद्वता के साथ महानता भी आए। ईमानदारी, नशामुक्ति, अहिंसा भी जीवन में आए। समाज के लोग भी अपने शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा और संस्कार का विकास करने का प्रयास करते रहें, यह अभिवांछनीय है। पूज्यप्रवर ने विद्यार्थियों को अहिंसा यात्रा के तीन संकल्प समझाकर स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में जैन श्वेतांबर तेरापंथी शिक्षण समिति के अध्यक्ष नरेश मेहता, महामंत्री प्रदीप डोसी, मीनाक्षी पारख ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। शास्त्री नगर एवं मिलाप भवन ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों की सुंदर प्रस्तुति हुई। विद्यालय की शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। आचार्यश्री के दर्शन के लिए राजस्थान के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पहुँचे। उन्होंने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि आज मुझे आचार्यश्री महाश्रमण जी के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। दर्शन के साथ-साथ प्रवचन सुनने का लाभ भी सहज मिल गया। मैं अपने विधानसभा क्षेत्र तथा राजस्थान सरकार व समस्त जनता की ओर से आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ। परमाणु हथियारों से लैस दुनिया को आपके संदेश नया मार्ग दिखा रहे हैं। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आप 51 हजार किलोमीटर की यात्रा करने के बाद भी जन-जन के कल्याण के निरंतर गतिमान हैं। आप जैसे पुण्यात्मा के दर्शन कर मेरा जीवन धन्य हो गया। आचार्यश्री ने उन्हें आशीष प्रदान करते हुए कहा कि राजनीति एक सेवा का अवसर है। इसमें भी नैतिकता, ईमानदारी, स्वच्छता बनी रहे, खूब अच्छी सेवा की भावना का विकास होता रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने बताया कि पूज्यप्रवर की लोकोपकार की धृति लोगों को आकर्षित करती है।