श्रद्धानिष्ठ आचार्य का एक नाम है - आचार्य महाश्रमण
गंगाशहर।
तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यश्री महाश्रमण जी के 13वें पट्टोत्सव का आयोजन किया गया। समारोह में शासनश्री साध्वी शशिरेखाजी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी के जीवन का हर क्षण रोशनी से भरा हुआ है। जिनके जीवन का हर दिन मैनेजमेंट का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, हर माह सृजन की नई कहानी है। ऐसे आज्ञानिष्ठ, संयमनिष्ठ, श्रद्धानिष्ठ आचार्य का एक नाम हैµआचार्य महाश्रमण। सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी कीर्तिलता जी ने आचार्यश्री महाश्रमण जी के जीवन-यात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि मोहन से मुदित और मुदित से महाश्रमण बनने के लिए न जाने आपको कितनी बार अनुशासन रूपी अग्नि में तपना पड़ा। तब कहीं जाकर आज हम सबके शिरमौर बने। साध्वी सूरजप्रभाजी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी का व्यक्तित्व निराला है। जिन्हें सूरज, चंद्रमा और सागर की उपमा से उपमित किया जा सकता है।
साध्वी पूनमप्रभाजी ने मुक्तक, साध्वी जागृतयशाजी ने गीत व साध्वी सोमश्रीजी ने वक्तव्य के माध्यम से अपने विचार रखे। साध्वी शीतलयशाजी, साध्वी कांतयशाजी आदि साध्वियों ने सुमधुर गीतिका का संगान किया। साध्वी लावण्ययशाजी ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अणुव्रत समिति के मनोज छाजेड़ द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेममं की मंत्री कविता चोपड़ा, तेयुप के अध्यक्ष विजेंद्र छाजेड़, ज्ञानशाला ज्ञानार्थी जयेश छाजेड़, मीनाक्षी सामसुखा ने अपने विचार प्रस्तुत किए।