उपलब्धियों का अहंकार नहीं अपितु सदुपयोग करें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

उपलब्धियों का अहंकार नहीं अपितु सदुपयोग करें: आचार्यश्री महाश्रमण

लोहा, 5 जुलाई, 2022
रतनगढ़ वासियों को दो दिनों तक अपनी अमृतवाणी से अध्यात्म रसपान करवाकर अमृतपुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी 10 किलोमीटर का विहार कर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, लोहा पधारे। तीर्थंकर तुल्य आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मुख्य प्रवचन में मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि कोई आदमी किसी को अच्छी शिक्षा, हितकारी, उपयोगी बात बताता है, तो वह सामने वाला व्यक्ति शिक्षा देने वाले पर भी कुपित हो जाता है, उसकी बातों को बिलकुल महत्त्व नहीं देता है, तो वह आदमी आने वाली लक्ष्मी को घर में आने से रोकता है। जैसे लक्ष्मी को आने से रोकना एक अहितकर बात हो सकती है, इसी प्रकार अच्छी सलाह देने वाले पर कुपित होना, उसकी अवहेलना करना भी अहितकर हो सकता है। आदमी में घमंड-अहंकार प्रबल होता है, तो वह दूसरे की अच्छी सलाह को भी गलत रूप में ले लेता है। यह बंदर और बयां के घटना प्रसंग से समझाया।
ज्ञान में अहंकार न हो। ज्ञान को बढ़ाओ, दूसरों को बताओ। ज्ञान होने पर भी मौन रहना और शक्ति होने पर भी क्षमा रखना यह एक विशेषता की बात होती है। घमंड एक ऐसा तत्त्व है, जो कर्मवाद के सिद्धांत से तो नीच गौत्र का बंध कराने वाला होता है। चेहरा सुंदर है, पर उसका भी घमंड ना हो। बड़ी बात तो साधना में है। ज्ञान और चारित्र अच्छा रहेगा तो चेहरे की भी सुंदरता दब जाएगी। गुरुदेव तुलसी का चेहरा तो सुंदर था। आचार्य की एक संपदा होती है-शरीर संपदा। उनका चारित्र व ज्ञान भी अच्छा था। तपस्या भी निर्जरा के लिए करो, नाम-ख्याति के लिए नहीं। तप का घमंड न हो। लब्धि या सत्ता का भी घमंड न हो। अधिकार घमंड के लिए नहीं, सेवा के लिए मिलता है।
उपलब्धियाँ जो जीवन में हो, इनका अहंकार नहीं करके, इनका अच्छा उपयोग हो सके, वह करने का प्रयास करना चाहिए। कोई अच्छी शिक्षा दे, उसको अच्छे रूप में लेना चाहिए। दुनिया में अच्छी बात दूसरे के पास भी हो सकती है, जहाँ से अच्छी बात मिले उसे ग्रहण करना चाहिए। देशाटन करने से अच्छी जानकारियाँ मिल सकती हैं। देशाटन करने से संघ की वृद्धि हो सकती है। संघ में विकास हो सकता है। अनुभव प्राप्त करो। अच्छी सलाह देना भी और लेना भी अच्छा है। हीरा कीचड़ में भी मिले तो उठा लो। अच्छी बात किसी ग्रंथ से, पंथ से या संत से मिले, काम की है, तो जीवन में उतारें। अच्छी सच्ची बातें लेने से हम जीवन में और विकास कर आगे बढ़ सकते हैं। घमंड आदमी को नहीं करना चाहिए। समुचित विनय व्यवहार रखना चाहिए। सबका विकास हो। पूज्यप्रवर ने स्थानीय लोगों को संकल्प स्वीकार करवाए।
स्थानीय सरपंच भंवरलाल एवं सदस्य राजेश ने, लालसिंह ने, उपासक श्रेणी के पूर्व संयोजक सुमेरमल सुराणा, स्कूल की ओर से पेमाराम ने पूज्यप्रवर के स्वागत में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि जैसे पारस पत्थर लोहे को सोना देता है, वैसे हम भी साधना करके मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ें।