विद्यालय में जाति, वर्ग, भाषा तथा संप्रदाय का भेद नहीं होता

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विद्यालय में जाति, वर्ग, भाषा तथा संप्रदाय का भेद नहीं होता

खातोली।
सर्वधर्म सद्भावना के प्रतीक होते हैं विद्यालय। क्योंकि यह एक ऐसा संस्थान होता है, जहाँ किसी जाति, वर्ग, भाषा या संप्रदाय का भेदभाव नहीं होता। प्रत्येक विद्यार्थी को एक समान शिक्षा दी जाती है। ये विचार एम0एस0 विद्यालय खातोली में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के मध्य मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने व्यक्त किए। मुनिश्री ने आगे कहा कि शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य होना चाहिए- ज्ञानार्जन। ज्ञान से आचार, विचार, संस्कार व व्यवहार अच्छा बनता है। हमारा उद्देश्य जैन नहीं गुड मैन बनने का है। भारत की भावी पीढ़ी विद्यार्थी में अनेक प्रतिभाएँ हैं। उन प्रतिभा को जागृत करने का कार्य शिक्षक वर्ग का है।
मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा कि अंग्रेजी के एच से शुरू होने वाले जीवन में हास्पीटल, होस्टल, होटल होता है, उसके उपसंहार में हेंड, हेड, और हार्ट का शुद्धिकरण अपेक्षित है। इसके लिए शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और भावात्मक विकास जरूरी है। जिसे सर्वांगीण विकास कहा जा सकता है। बालावस्था में विकास की अधिक संभावनाएँ हैं, जिसे विद्यार्थी प्राप्त करने का प्रयास करे। विद्यालय के निदेशक जसवीर सिंह ने मुनिवर का स्वागत करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित की। सह-निदेशक रामस्वरूप प्रजापत, व्यवस्थापक मुरलीधर व्यास, प्रधानाचार्य छोटुराम रोरस्या, जितेंद्र प्रसाद वैष्णव, पुष्पेंद्र जैन, पंकज वैष्णव, रणजीत बाबा, गणेश वैष्णव, कैलाश बागड़ी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मुरलीधर व्यास ने किया। सभी बालक-बालिकाओं ने नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प किया।