भिक्षु चरमोत्सव के विविध आयोजन
रोहिणी, दिल्ली
साध्वी डॉ0 कुंदनरेखा जी के सान्निध्य में 220वाँ भिक्षु चरमोत्सव का कार्यक्रम सभा भवन में रखा गया। इस अवसर पर साध्वी कुंदनरेखा जी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ के आद्यप्रणेता आचार्य भिक्षु आत्मवेत्ता थे, जिन्होंने आत्म खोज हेतु गृहस्थ जीवन का त्याग किया। भगवान महवीर की वाणी आगमों का गठन अध्ययन किया और पूर्ण समर्पण के साथ उसका आचरण भी किया। साध्वी कुंदनरेखा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु इस संघ के प्राण हैं, त्राण हैं और प्रतिष्ठा है। जिन्हें न केवल तेरापंथी अनुयायी, न केवल जैन धर्म बल्कि अन्य मतावलंबी भी उनका स्मरण करते हैं। आचार्य भिक्षु में ऐसा मंत्र बन गया है, जो दुनिया को आधि-व्याधि से मुक्त करता है।
साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु क्रांतिकारी महापुरुष थे। जिन्होंने आध्यात्मिक क्रांति द्वारा भगवान महावीर की वाणी को आत्मोधार किया। कष्टों की परवाह नहीं की। अभातेममं की पूर्वाध्यक्षा पुष्पा बैंगाणी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का संपूर्ण जीवन दृष्टांतों की यात्रा से यातायित है, जो हमें पग-पग पर प्रतिबोध भी देता है और आचार्य भिक्षु की औत्पत्ति को बुद्धि से भी रूबरू कराता है।
तेरापंथी सभा, रोहिणी के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि आचार्य भिक्षु का नाम हमारे भीतर नव चेतना का संचार करता है। अभय बनाता है। चलना सिखाता है, जीने का विज्ञान बताता हैµशततः नमन! राजूबाई, बिमला सुराणा ने मंगलाचरण किया। साध्वी कल्याणयशा जी ने कहा कि मानवता के मसीहा क्रांतिकारी आचार्य भिक्षु का तेरापंथ धर्मसंघ विकास, विश्वास एवं विनय का जीवंत रूप है। कार्यक्रम का संचालन साध्वी कल्पयशा जी ने किया।