अवबोध

स्वाध्याय

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धर्म बोध

शील धर्म

प्रश्न 10 : मैथुन विरमण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : स्त्री और पुरुष का युगल मिथुन कहलाता है। मिथुन के भाव विशेष अथवा कर्म विशेष को मैथुन कहते हैं। इस मैथुन-अब्रह्म से विरत रहना मैथुन विरमण है। मोह के उदय होने पर राग परिणाम से स्त्री और पुरुष में जो परस्पर संस्पर्श की इच्छा होती है, वह मिथुन है। उसका कार्य अर्थात् संभोग क्रिया मैथुन है। दोनों के पारस्परिक राग परिणाम के निमित्त से होने वाली चेष्टा है।

प्रश्न 11 : मैथुन सेवन करने वाले के क्या जीव हिंसा का भी पाप लगता है?
उत्तर : एक बार मैथुन सेवन से असंख्य अमनस्क मनुष्यों की हिंसा होती है। इस तरह वह पंचेन्द्रिय वध के पाप का भागी बनता है।
(क्रमश:)