विकास के पर्याय थे आचार्यश्री तुलसी

संस्थाएं

विकास के पर्याय थे आचार्यश्री तुलसी

मदनगंज-किशनगंज
तेरापंथ भवन में विकास महोत्सव एवं शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने कहा कि युगानुरूप समस्याओं के समाधान में गुरु तुलसी का नाम अमर रहेगा। उन्होंने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात करके राष्ट्र में नैतिक व चारित्रिक उत्थान के कार्य का शुभारंभ कर राष्ट्र को नई दिशा दी। आचार्य तुलसी ने राष्ट्रीय विकास के लिए अथक प्रयास किए, उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने भारत ज्योति सम्मान से सम्मानित किया साथ ही इंदिरा गांधी एकता पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित होने का सौभाग्य मिला। मुनि अमन कुमार जी ने कहा कि भारतीय परंपरा में गुरुओं की सदा से महत्ता रही है। चाहे वह शिक्षा गुरु हो अथवा धर्म गुरु। गुरु ही शिष्य का निर्माण कर उसे योग्य बनाने वाले होते हैं।
मुनि सुबोध कुमार जी ने कहा कि विकास का पर्याय रहा है तुलसी का नाम। उन्होंने संघीय विकास के साथ जैन धर्म के विकास में उनका महान योगदान रहा है। जैन धर्म जन-जन का धर्म के रूप में प्रख्यात होना आचार्य तुलसी ने पहचान दी उनके द्वारा आचार्य पद का विसर्जन करना एक साहसिक कदम था, जहाँ लोग पद प्राप्त करने के लिए कितना प्रयत्न करते हैं, वहाँ इतने बड़े धर्मसंघ का आचार्य पद को छोड़ना इतिहास की विरल घटना हो गई। इस अवसर पर महिला मंडल ने तुलसी स्तवन से मंगलाचरण किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष माणक गेलड़ा, तेयुप के युवकों, महिला मंडल मंत्री करुणा चंडालिया, रितिका बोथरा, नगीना गेलड़ा, कानराज डूंगरवाल, पूनम सांखला ने अपनी भावनाएँ प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन तेयुप मंत्री ने किया।