अणुव्रत के पुष्पों से गृहस्थों का जीवन सुगंधित बनता रहे : आचार्यश्री महाश्रमण
ताल छापर, 31 अक्टूबर, 2022
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि भगवती आगम में प्रश्न किया गया कि जीव शाश्वत है या अशाश्वत है? उत्तर में कहा गया कि गौतम! एक अपेक्षा से जीव शाश्वत है और एक अन्य अपेक्षा से अशाश्वत है। दो प्रश्न हैं कि ऐसा क्यों और कैसे? हमारी दुनिया में जितने भी पदार्थ हैं, उनके मूल तत्त्व-राशि हमेशा एक समान रहते हैं। संसार में जीव आज से अनंत काल पहले थे, उतने ही जीव आज हैं और आगे अनंत काल के बाद भी उतने ही रहेंगे। इसलिए जीव शाश्वत है। ऐसा कोई समय नहीं या कि दुनिया में जीव नहीं थे और ऐसा कोई समय आएगा नहीं जब दुनिया में कोई जीव नहीं रहेंगे।
एक-एक जीव के भी असंख्य प्रदेश होते हैं। हर आत्मा असंख्येय प्रदेश वाली होती है। इनका एक प्रदेश भी कभी कम नहीं होता। एक भी प्रदेश कभी बढ़ेगा नहीं। जितने हैं, उतने ही रहेंगे। आत्मा कभी कटती नहीं है, उस पर कोई हथियार नहीं चलता है। आत्मा अछेद्य है, उसको सुखाया भी नहीं जा सकता न उसे भिगोया जा सकता है न उसे कभी जलाया जा सकता है। आत्मा अपने आपमें अमूर्त होती है। द्रव्य राशि की अपेक्षा जीव शाश्वत है और पर्याय की अपेक्षा जीव अशाश्वत है। संसारी जीव में परिवर्तन होता रहता है। आज का मनुष्य देवता, मनुष्य, तिर्यंच या नरक में जा सकता है। जीव वही है, पर पर्याय बदल जाता है। जीव हो या पुद्गल अनंत काल से उतने ही हैं और आगे अनंत काल तक उतने ही रहेंगे। दोनों में परिवर्तन होता रहता है। कालचक्र है। आदमी स्वयं अच्छा बने। आप भला तो जग भला। औरों को भी अच्छा बनाया जा सकता है। अणुव्रत आंदोलन आदमी को अच्छा बनाने का प्रयास है, प्रवृत्ति की पृष्ठभूमि में वृत्ति होती है।
अंधेरा है तो प्रकाश जलाने का प्रयास करें। माना कि अंधकार है घना, पर मेरे मित्र दीपक जलाना कहा है मना। हिंसा के अंधकार में अहिंसा का प्रकाश फैलाने का प्रयास हो। अणुव्रत एक दीपक, एक फूल है जो अनैतिकता, हिंसा और असंयम को कम करने वाला है, उसकी बदबू को कम करने वाला है। छोटे-छोटे व्रतों से आदमी की चेतना अच्छी बन जाए। वर्तमान का जीवन हमारे सामने प्रत्यक्ष है, प्रत्यक्ष जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करें। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी एक बड़ी संस्था बनी पड़ी है। अणुव्रत का देश-विदेश में यथानुकूल्य प्रसार होता रहे। अणुव्रत फलता-फूलता रहे। अणुव्रतों के पुष्पों से गृहस्थों का जीवन सुगंधित बनता रहे। प्रकाशित होता रहे।
अणुव्रत पुरस्कार व सम्मान समारोह
अणुविभा के मंत्री भीखमचंद सुराणा ने अणुव्रत पुरस्कार व सम्मान समारोह के बारे में बताया। अणुव्रत पुरस्कार-2022 भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को मरणोपरांत प्रदान किया गया। प्रशस्ति-पत्र का वाचन संचय जैन ने किया। इस पुरस्कार को अब्दुल कलाम के भतीजे व भतीजे के पुत्रों ने ग्रहण किया। भतीजे के पुत्र शेख दाऊद ने अपने भाव अभिव्यक्त किए। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि अब्दुल कलाम जी कई बार आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी से मिले थे। एक बार वे अचानक अहमदाबाद पधार गए थे, उनके साथ गुरुदेव की चर्चा हुई थी। वैसे मुंबई, सूरत, दिल्ली में भी मुलाकात हुई थी। हर प्राणी के साथ मैत्री का भाव रखना चाहिए। पुस्तक भी साथ में लिखी थी। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के महाप्रयाण के समय सरदारशहर भी आए थे। उन्हें आज अणुव्रत पुरस्कार प्रदान किया गया है।
अणुव्रत गौरव का सम्मान-2021 का सम्मान निर्मल रांका को प्रदान किया गया। अणुव्रत गौरव सम्मान-2022 डॉ0 बसंतीलाल बाबेल को प्रदान किया गया। अणुव्रत लेखक पुरस्कार-2022 डॉ0 कुसुम लुनिया को प्रदान किया गया। जीवन विज्ञान-2021 पुरस्कार मूलचंद नाहर एवं 2022 का पुरस्कार माला कातरेला को प्रदान किया गया। पूज्यप्रवर ने पुरस्कार व सम्मान प्राप्तकर्ताओं को आशीर्वचन फरमाया कि मनुष्य के जीवन में दो बातें प्रमुख होती हैं, एक तो स्वयं के संयम, सादगी, ईमानदारी व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी हैं। दूसरी होती हैंµसेवा। आदमी स्वयं के जीवन को अच्छा रखने का प्रयास रखे। दूसरों के क्ल्याण के लिए अपनी शक्ति का नियोजन करने का प्रयास करे। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान और जीवन-विज्ञान जैसे विश्व कल्याणकारी कार्यक्रम मानव जीवन के लिए कल्याणकारी है।
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के आगामी कार्यकाल के लिए भी अविनाश नाहर का अध्यक्ष पद के लिए मनोनयन किया गया है। अधिवेशन के सहयोगी व संयोजन सहयोगियों का सम्मान किया गया। ज्ञपर्के वदम के लिए छापर चातुर्मास व्यवस्था समिति, अधिवेशन के संयोजक प्रताप दुगड़ एवं प्रदीप सुराणा, छापर व विनोद बच्छावत, चाड़वास का भी सम्मान किया गया। नवनिर्वाचित अध्यक्ष एवं मुख्य न्यासी को पूज्यप्रवर ने मंगलपाठ सुनाया। अविनाश नाहर ने अपनी भावना अभिव्यक्त करते हुए अपनी नवनिर्वाचित टीम की घोषणा की एवं शपथ ग्रहण करवाई। पूज्यप्रवर ने नव निर्वाचित टीम को मंगलपाठ सुनाया। मुख्य न्यासी तेजकरण सुराणा ने अपने भाव अभिव्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।