अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध
शील धर्म

प्रश्न 24 ः ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिए मुनि को कौन से उपाय सुझाए गए हैं?
उत्तर ः ब्रह्मचर्य की रक्षा के उपायों को आगमों में गुप्तियाँ अथवा समाधि-स्थल कहा है। इन्हें साधारणतः ब्रह्मचर्य की बाड़ भी कहा जाता है। इन उपायों की संख्या नौ अथवा दस दोनों ही प्राप्त हैं। इनकी नौ संख्या इस प्रकार हैं-
(1) विविक्त शयनासन - निर्ग्रंथ स्त्री, पशु और नपंुसक से संयुक्त उपाश्रय का सेवन न करें।
(2) स्त्री कथा-वर्जन - स्त्री कथा न कहे।
(3) एक आसन-वर्जन - स्त्रियों के साथ एक आसन पर न बैठें।
(4) इंद्रिय दर्शन-परिहार - स्त्रियों के मनोरम और मनोहर अंग-प्रत्यंगों को न देखें।
(5) शब्द श्रवण-परिहार - स्त्रियों के कूजन, गीत, हास्य आदि के शब्द न सुनें।
(6) पूर्व-क्रीड़ा-स्मृति-वर्जन - पूर्व क्रीड़ाओं का स्मरण न करें।
(7) प्रणीत-भोजन-वर्जन - सरस भोजन न करें।
(8) अति भोजन-वर्जन - अति मात्रा में न खाएँ व न पीएँ।
(9) विभूषा-वर्जन - विभूषा न करें।
ब्रह्मचर्य की जो पाँच भावनाओं-अनुप्रेक्षाओं का उल्लेखआता है, उनका इन नौ गुप्तियों में समावेश हो जाता है।
(क्रमशः)