जीवन में सारभूत ज्ञाान को ग्रहण करने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण
चंडावल, 3 दिसंबर, 2022
तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः धवल सेना के साथ 14 किलोमीटर का विहार कर चंडावल पधारे। अमृत देशना प्रदान करते हुए महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। अज्ञानी क्या जान पाएगा कि श्रेय क्या है, कल्याणकारी क्या है और पाप क्या है? ज्ञान प्राप्ति के लिए अध्ययन करने की भी अपेक्षा होती है। स्वाध्याय से ज्ञान विकसित हो सकता है। ज्ञान प्राप्त होने पर आदमी एकाग्रचित्त वाला बन सकता है। स्वयं सन्मार्ग पर चल अच्छे कार्यों में स्थित हो सकता है। ज्ञान एक पवित्र तत्त्व है। आगम साहित्य में स्वाध्याय की प्रेरणा दी गई है।
नींद लेना स्वाध्याय करने में बाधक तत्त्व बन सकता है। जो बातें अच्छी नहीं हैं, उन बातों में रस लेना स्वाध्याय में बाधक बन सकता है। स्वाध्याय-अध्ययन के अनेक आयाम हैं। कंठस्थ ज्ञान करना भी एक आयाम है। शब्द शास्त्र का कोई पार नहीं है, अनेक विषयों के ग्रंथ हैं। अच्छे कार्यों में विघ्न भी आते हैं, समय भी सीमित है पर जो सारभूत है, उसे पढ़ना चाहिए। यह आचार्य संयमभव के प्रकरण से समझाया। हम अभी मारवाड़ विचर रहे हैं, जो आचार्य भिक्षु की विहरण भूमि रहा है। हम सारभूत ज्ञान जीवन में ग्रहण करने का प्रयास करते रहें। आज चंडावल आए हैं। यहाँ के लोगों में खूब धार्मिक-आध्यात्मिक भावना रहे, मंगलकामना।
कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया। आचार्यप्रवर ने सांध्यकालीन 6 किमी विहार कर साण्डिया ग्राम पधारे। सायं काल में आचार्यश्री महाश्रमण की मंगल सन्निधि में पहुँचे केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी क्षेत्रीय सांसद व कॉर्पोरेट मामलों के केंद्रीय राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने आचार्यश्री को विधिवत वंदन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। पीपी चौधरी से आचार्यश्री का संक्षिप्त वार्तालाप का भी क्रम रहा। आचार्यश्री के दर्शन से हर्षित पीपी चौधरी आचार्यश्री से मंगलपाठ का श्रवण कर अपने गंतव्य को रवाना हो गए।