आत्म पवित्रता की दृष्टि से सरलता का विशेष महत्त्व होता है: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

आत्म पवित्रता की दृष्टि से सरलता का विशेष महत्त्व होता है: आचार्यश्री महाश्रमण

महामना भिक्षु की जन्म भूमि पर तेरापंथ के वर्तमान भिक्षु आचार्यश्री महाश्रमण जी का पावन पदार्पण

कंटालिया, 6 दिसंबर, 2022
तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक आचार्यश्री भिक्षु की पावन जन्म स्थली कंटालिया, जहाँ माता दीपां की कुक्षी से आचार्य भिक्षु का बालक भिक्षु के रूप में वि0सं0 1783 आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी को अवतरण हुआ था। भिक्षु के परंपर पट्टधर तेरापंथ के एकादशम महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः सोजत रोड से 14 किलोमीटर का विहार कर मुसालिया की धरा को पावन करते हुए कंटालिया पधारे। अपने परम आराध्य आचार्यश्री भिक्षु की स्मृति करते हुए महामनीषी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आत्म पवित्रता की दृष्टि से सरलता का बहुत महत्त्व है। ऋजुता होती है, तो शुद्धता हो सकती है। जहाँ छल-कपट, दाँव-पेच का जाल होता है, वहाँ शुद्धता में कमी रह सकती है।
शास्त्रकार ने कहा है कि हिंसा न हो और मृषा न बोलें। हिंसक या मृषा वचन आदमी को और विशेषतया साधु को नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलने के पीछे दो कारण बताए गए हैंµक्रोध और भय। जिस व्यक्ति में गुरुत्व का आकर्षण होता है, वहाँ भी जनता आकर्षित हो सकती है। आचार्य भिक्षु जैन श्वेतांबर तेरापंथ के प्रथम अनुशास्ता-जनक थे। उनकी अपनी महिमा थी। उनमें ज्ञान भी अच्छा था। बुद्धि का वैशिष्ट्य था। आचार निष्ठा का विशेष भाव था। आदमी में बुद्धि और प्रतिभा होती है, तो वह अच्छा प्रतिपादन कर सकता है। अपनी बात को गले उतारने का सत् प्रयास कर सकता है। सही बात को गले उतारने का प्रयास हो।
कंटालिया आचार्य भिक्षु के जन्म प्रसंग से जुड़ा हुआ है। ‘भिक्षु म्हारे प्रगट्या जी भरत खेतर में।’ स्वामीजी थांरी आ अमाप्य ऊँचाई।’ ज्योति का अवतार बाबा ज्योति ले आया।’ परमपूज्य जयाचार्य, गुरुदेव तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी द्वारा रचित गीतों का एक-एक पद्य का सुमधुर संगान पूज्यप्रवर ने किया। स्वरचित गीत ‘भिक्षु बाबा लो हमारी वंदना’ का भी संगान किया। कुछ समय पश्चात् आचार्य भिक्षु त्रि-शताब्दी जन्म महोत्सव भी प्रारंभ होने वाला है। वि0सं0 2082 आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी से वह जन्म त्रिशताब्दी वर्ष का अवसर प्रारंभ होने वाला है। काल का अपना महत्त्व है, तो क्षेत्र का भी अपना महत्त्व मानना चाहिए। इसका प्रारंभ कंटालिया से ही करना चाहता हूँ। कल ही उसकी स्थापना करना चाहता हूँ। सूर्योदय के साथ प्रातः 7 बजकर 21 मिनट पर कल प्रतिष्ठित करने का विचार है।
परम पावन ने महती कृपा करते हुए फरमाया कि 2026 में खाटू से पहले कंटालिया आने का भाव है। कंटालिया में तेरह रात्रि रहने का और त्रिशताब्दी का महाचरण यहाँ मनाने का भाव है। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि आचार्यप्रवर में गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रकट हो रहा है। जहाँ पधारते हैं, जन सैलाब उमड़ पड़ता है। एक महासूर्य से अनुभूति होती है। आचार्य भिक्षु के प्रति भी लोगों का आकर्षण बना हुआ था। अनेक लोगों को आचार्य भिक्षु ने तृप्त किया था। ठाकुर मोखमसिंह जी के प्रसंग से यह समझाया।
पूज्यप्रवर के स्वागत-अभिवंदना में आचार्य भिक्षु जन्म स्थली समिति से गौतमचंद सेठिया, तेममं, नवरत्नमल गादिया, ज्ञानशाला ज्ञानार्थी, सरपंच पारस बलवान ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। रमेश डागा ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया। मुनि रणजीत कुमार जी ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए।