जिनका मन धर्म में रमा रहता है उन्हें देवता भी करते हैं नमस्कार: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जिनका मन धर्म में रमा रहता है उन्हें देवता भी करते हैं नमस्कार: आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्य भिक्षु समाधि स्थल पर आचार्यश्री महाश्रमण जी का पावन पदार्पण

सिरियारी, 7 दिसंबर, 2022
आचार्यश्री भिक्षु का महाप्रयाण स्थल सिरियारी। वर्तमान के भिक्षु आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 14 किलोमीटर का विहार कर कंटालिया में भिक्षु त्रिशताब्दी जन्म महोत्सव का शुभारंभ कर सिरियारी पधारे। सिरियारी में तीन दिवस का पूज्यप्रवर का प्रवास है, कल दीक्षा महोत्सव भी आयोजित है। आचार्य भिक्षु के परंपर पट्टधर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि दुनिया में मंगल का महत्त्व है। कभी मंगलभावना समारोह आयोजित होता है। दीक्षार्थियों का भी मंगलभावना समारोह होता है। चातुर्मास संपन्नता से पूर्व और अनेक अवसरों पर मंगलभावना समारोह आयोजित होते हैं।
दूसरों के लिए मंगलकामना करना विशेष बात हो जाती है। यह एक गुणवत्ता की बात है। जो आदमी दूसरों के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना रखता है, वो खुद का मंगल करता है। दुःख भोगने वाला तो कभी सुखी बन सकता है, पर दूसरों को दुःख देने वाला है, वह खुद दुखी बन सकता है। गृहस्थ चारित्रात्माओं से मंगलपाठ सुनते हैं। धर्म के जगत में अर्हतों, सिद्धों, साधुओं को और केवली प्रज्ञप्त धर्म को मंगल कहा गया है। ये सब धर्म के आधार पर ही मंगल कहे जाते हैं। धर्म उत्कृष्ट मंगल है। सामान्य मंगलों में आदमी कुछ पदार्थों का उपयोग कर लेता है। अच्छा मुहूर्त दिखा लेता है। पर धर्म के सामने ये मंगल छोटे हो जाते हैं।
अहिंसा, संयम और तप धर्म है। जिसका मन धर्म में रमा रहता है, उसको देवता भी नमस्कार करते हैं। धर्म की साधना करने वाले खुद धर्म ही बन जाते हैं। धर्म और धर्मी एक संदर्भ में एक ही होता है। आज हम सिरियारी आए हैं। एक दशक से कुछ अधिक समय हो गया है। अगली बार जल्दी आने की इच्छा है। सिरियारी आचार्य भिक्षु से जुड़ा प्रांगण है। चातुर्मास भूमि, कर्मभूमि, अनशन भूमि और महाप्रयाण भूमि सिरियारी है। वि0सं0 2060 आचार्य भिक्षु महाप्रयाण द्विशताब्दी समारोह पर आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने यहाँ चातुर्मास भी किया था।
मैं समाधि स्थल पर भी जाकर आया था। आचार्य भिक्षु त्रि-शताब्दी जन्म समारोह कुछ समय पश्चात् आने वाला है। क्षेत्रतः तो मैंने उसकी आज प्रातः ही घोषणा कर दी थी। आचार्य भिक्षु तेरापंथ धर्मसंघ के जनक थे। सिरियारी संस्थान भी विकास कर रहा है। पर्याय परिवर्तन हो रहा है। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी, मुख्य मुनि महावीर कुमार जी व साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी आज आए हैं। शासनश्री मुनि हर्षलाल जी, मुनि मणीलाल जी के दर्शन हुए हैं। मुनि सुव्रतकुमार जी, मुनि संजय कुमार जी के दर्शन आज मिले हैं। शासनश्री रवीन्द्रकुमार जी तो सामने आ गए थे। अनेक रत्नाधिक मुनियों के मैं साथ में हूँ। अनेक साध्वियों का भी आना हुआ है।
सिरियारी हमारे धर्मसंघ का महत्त्वपूर्ण स्थान बन गया है। आज चतुर्दशी है। पूज्यप्रवर ने हाजरी-मर्यादा का वाचन किया। हमारी चर्या, आचार, सिद्धांत और मर्यादाएँ हैं, हम इनके प्रति जागरूक रहें। सभी संत अच्छा काम करते रहें, साधना करते रहें। इतनों से आज मिलना हुआ है। सुरेंद्र सुराणा ने भी सिरियारी संस्थान को सहयोग दिया है। वे भी आध्यात्मिक साधना करते रहें। उनके मन को चित्त समाधि रहे। चारित्रात्माओं ने लेख-पत्र का वाचन किया। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में आचार्य भिक्षु समाधि स्थल संस्थान के संयोजक निर्मल श्रीश्रीमाल, सिरियारी तेरापंथ समाज व बेटियों ने गीत, सभाध्यक्ष नवीन छाजेड़ ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
पूज्यप्रवर के दर्शन करने वाले बहिर्विहारी साधु-साध्वियों की ओर से मुनि रणजीत कुमार जी, साध्वी विशद्प्रभा जी, साध्वी परमयशा जी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।आचार्य भिक्षु समाधि संस्थान स्थल के कैलेंडर एवं जैविभा द्वारा प्रकाशित तृतीय आचार्यश्री भारमल जी के जीवन-वृत्त पर आधारित पुस्तक का पूज्यप्रवर के करकमलों से लोकार्पण हुआ। पूज्यप्रवर ने आशीर्वचन फरमाया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।