जीवन को धर्म की कमाई करने में नियोजित करें: आचार्यश्री महाश्रमण
धामली, 12 दिसंबर, 2022
तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः लगभग 17 किलोमीटर का प्रलंब विहार कर धामली पधारे। पूज्यप्रवर ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी दुनिया में चौरासी लाख जीव योनियाँ बताई गई हैं। इन विभिन्न योनियों में मनुष्य की योनि बहुत महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ है। इस मानव जीवन को ऐसे ही पापों में, भोगों में गँवाता है या इस जीवन का आत्म-उत्थान, आत्म-कल्याण की साधना में उपयोग करता है। पाप-भोगों में ही यह जीवन चला गया तो फिर मानव जीवन कब मिलेगा क्या पता? इसे थोड़े से लाभ, भौतिक सुखों में गँवाना नहीं चाहिए। आत्मा का कल्याण हो, उसके लिए भी प्रयास करना चाहिए। धर्म की साधना करनी चाहिए, यह एक प्रसंग से समझाया।
धर्म का कहना हैµइस मानव जीवन का उपयोग करो। गृहस्थ को धन चाहिए तो धर्म भी चाहिए। आपका धन साथ जाने वाला नहीं है, धर्म का प्रभाव आगे तक जा सकता है। यह चिंतन करना चाहिए कि मेरे साथ क्या जाएगा। मृत्यु तो अवश्यंभावी है, पर साथ में जो जा सके वो चीज मैं तैयार कर लूँ। सच्चा धन धर्म है, जो आगे भी काम आ सकेगा। आदमी धर्म का टिफिन तैयार करने का प्रयास करे। हम लोग आज धामली आए हैं। धामली की जनता में धर्म की चेतना पुष्ट रहे। सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्तिµये कोमन धर्म की बातें हैं। जैन-अजैन कोई हो। ये छोटे-छोटे संकल्प जीवन में आ जाएँ तो इस जीवन के बाद का जीवन भी अच्छा रह सके। इसलिए धर्म का आचरण करना चाहिए। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम जीवन में आ जाएँ। प्रेक्षाध्यान से भीतर की चेतना जागे। हमारे राग-द्वेष कमजोर पड़ें। मनुष्य जीवन बड़ा कीमती है। धर्म का तत्त्व साथ में जा सकता है। जीवन को अच्छा रखने का प्रयास करें।
पूज्यप्रवर के स्वागत में सकल जैन संघ को महावीर कटारिया, महिला मंडल ने गीत, पुष्पा कटारिया, मूर्तिपूजक संघ से कांतिलाल कटारिया, उमेश चोधरी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।