कषाय और योग के कारण होता है कर्मों का बंधन: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

कषाय और योग के कारण होता है कर्मों का बंधन: आचार्यश्री महाश्रमण

पाली मारवाड़, 16 दिसंबर, 2022
जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी का आज पाली नगर में दूसरे दिन का प्रवास। मुख्य प्रवचन में परम पूज्य ने अमृत प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि हम शरीरधारी हैं। जो भी प्राणी होता है, वो शरीरधारी होता ही है। आत्मा एक जन्म पूरा करके अगले जन्म में जाती है, बीच में जो मार्ग है, वहाँ भी शरीर रहता है। स्थूल शरीर नहीं रहता। सूक्ष्म शरीर और सूक्ष्मतर शरीर ये दो शरीर तो अंतराल गति में भी रहते हैं।
पाँच शरीर बताए गए हैं-औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तेजस और कार्मण शरीर। वर्तमान में हमारे में तेजस और कार्मण के साथ औदारिक शरीर भी है। जहाँ स्थूलधारी शरीर होता है वहाँ प्रवृत्ति भी होती है। मनुष्य जन्म में प्रवृत्ति तो एक तरह से अनिवार्य है। प्रवृत्ति है, तो कर्मों का बंधन भी होता है। कर्मों का बंधन न हो और जीवन भी चलता रहे, ऐसा कोई उपाय है क्या? उसका एक छोटे से अंश वाला उपाय है-अनासक्ति। रहो भीतर, जीओ बाहर। सघन बंधन आसक्ति से होता है। अनासक्त चेतना है, तो बंधन होगा तो भी हल्का-फुल्का होगा। कर्मों के बंधन में दो तत्त्वों का योग है-कषाय और योग।
योग तो प्रवृत्ति है। कषाय जितना ज्यादा होता है, पाप का बंधन हो सकता है। राग-द्वेष मुक्त प्रवृत्ति है, वहाँ बंधन होगा तो हल्का होगा। 11-12-13वें गुणस्थान में बिलकुल कषाय नहीं होता, केवल योग मान्य है। केवलज्ञानी साधु पाप का भागी नहीं होता। राग-द्वेष का भाव बंधन का कारण है, तो राग-द्वेष मुक्त भाव मोक्ष का कारण हो सकता है। साधु तो राग-द्वेष मुक्त ही होते हैं। यह एक प्रसंग से समझाया कि साधु के मेरा कुछ नहीं होता है। साधु तो अकिंचन होता है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र साधु का होता है और कुछ नहीं। साधु तो अणगार होता है, संजोग से विमुक्त होता है। हम अनासक्ति की साधना करें। गार्हस्थ्य में भी अनासक्त रहने का प्रयास करें।
पाली की जनता में अच्छी धर्मोद्योत की लौ जलती रहे। पूज्यप्रवर के स्वागत में तेयुप मंत्री पीयूष चोपड़ा, महिला मंडल गीत, सुबुद्धि समदड़िया, दक्ष बांठिया (किशोर मंडल), उषा मरलेचा (तेममं), अंतिमा बड़ेरा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। मुनि तत्त्वरुचि जी, मुनि संभव कुमार जी एवं साध्वी सिद्धप्रभा जी ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति श्रीचरणों में अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने बताया कि पाली में तो आज दिवाली है। पूज्यप्रवर ने पाली तेममं द्वारा स्वीकृत संकल्पों के संकल्प स्वीकार करवाए।