क्षमा या माफी मानव व्यवहार का एक अहम् हिस्सा
चंडीगढ़।
क्षमा का मनुष्य के व्यक्तित्व में बहुत महत्त्व होता है। यदि आदमी गलती कर दे और उसके लिए माफी नहीं माँगे या कोई आदमी माफी माँगने पर भी किसी को माफ नहीं करे तो उसके व्यक्तित्व में अहम् संबंधी विकार है। यह शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने अणुव्रत भवन, तुलसी सभागार में सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने आगे कहा कि माफ करने वाले व्यक्ति की हर कोई तारीफ करता है और उसकी प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल जाती है। कवियों ने क्षमा को अपने-अपने ढंग से परिभाषित किया है। मुनिश्री ने अंत में कहा कि जीवन का उद्देश्य ही धूमिल होने मत दीजिए जो जीवन को पीछे ले जाने वाला एक और मुख्य कारण है, उसे रूठना कहते हैं। व्यक्ति का इस प्रकार का स्वभाव उसे औरों से या परिवार, समाज से अलग कर देता है। इसलिए जीवन में हमेशा मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।