भोग संसार का मार्ग है और योग मोक्ष का मार्ग है: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

भोग संसार का मार्ग है और योग मोक्ष का मार्ग है: आचार्यश्री महाश्रमण

दुन्दाड़ा, 27 दिसंबर, 2022
जिन शासन के महान प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः विहार कर दुन्दाड़ा पधारे। श्री वर्धमान समवसरण में आचार्यप्रवर ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि दो शब्द हैं-भोग और योग। ये दोनों एक-दूसरे से विपरीत दिशा वाले शब्द हैं। भोग संसार का मार्ग है, तो योग मोक्ष का मार्ग है। विषयों में आसक्त हो उनका उपभोग करना भोग हो जाता है। यह कर्म बंधन का मार्ग है। सम्यक् दर्शन, ज्ञान चारित्र की आराधना जो मोक्ष का उपाय है, वह योग होता है। योग-त्याग धर्म है। भोग अधर्म है। व्रत-संयम धर्म है तो अव्रत-असंयम अधर्म है।
साधु तो त्यागी-संयमी, व्रत धारण करने वाला योगी होता है। गृहस्थ जीवन में योग-त्याग की आराधना कैसे हो। गृहस्थ के लिए मध्यम मार्ग है-अणुव्रत। कुछ तो व्रती बनो। कुछ तो त्याग-संयम को तो स्वीकार करो, यह कुछ योग की साधना करना है। अणुव्रत की भी साधना है। गृहस्थी व्रताव्रती बन सकता है। अणुव्रत आंदोलन से जैन-अजैन कोई भी व्रत स्वीकार कर सकता है। आसक्ति बंधन है, गृहस्थ अनासक्ति की साधना करे। धायमाता की तरह गृहस्थ जीवन चलाते हुए भी मेरा कुछ नहीं है, यह चिंतन करें। ममत्व कमजोर पड़ जाता है, तो पाप का बंधन भी उस संदर्भ में न हो। गृहस्थ त्याग करने में आगे बढ़े। ‘सादा जीवन-उच्च विचार’ मानव जीवन का शंृगार।
सामान्य वेशभूषा वाला आदमी भी असामान्य व्यक्ति हो सकता है। विचार-आचार कीमती हो। यह एक प्रसंग से समझाया कि उच्च विचार वाले को सम्मान मिलता है। आते समय कपड़ों का सम्मान होता है, जाते समय विचार-आचार का सम्मान होता है। हमारे जीवन में हमारे ऊँचे और विद्वत विचार हों, व्यवहार हमारा संयममय हो। इसका महत्त्व है। यह भी एक प्रसंग से समझाया कि आदमी के ज्ञान और आचार-विचार का महत्त्व है। ज्यादा महत्त्व भीतर का है कि विचार, आचार और संस्कार कितने ऊँचे हैं। गृहस्थ जीवन में भी सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति आए। भोग में ही जीवन चला गया तो क्या कर लिया। हम दूसरों की आध्यात्मिक सेवा करें। हमें दुर्लभ मानव जीवन प्राप्त है, उसका बढ़िया उपयोग करें।
आज यहाँ दुन्दाड़ा आए हैं। यहाँ के लोगों में खूब धार्मिकता रहे, आगे बढ़ें, यही कामना है। पूज्यप्रवर के स्वागत में जैन संघ से महावीर मादरेचा, दीपचंद तलेसरा, समणी हंसप्रज्ञा जी, दुन्दाड़ा महिला मंडल, सुजाराम चौधरी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। जैविभा द्वारा 2023 का कैलेंडर पूज्यप्रवर के श्रीचरणों में अर्पित किया गया। समणी हंसप्रज्ञा जी के परिवार ने भी गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी द्वारा किया गया।