अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध
तप धर्म

प्रश्न 10 : भिक्षाचरी किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर : अभिग्रह युक्त खाद्य संयम करना तथा भिक्षाचरी-गोचरी के नियमों का पालन करना भिक्षाचरी तप है। इसका दूसरा नाम वृत्तिसंक्षेप या वृत्ति परिसंख्यान है। इसके छह, सात, आठ व तीस प्रकार भी मिलते हैं। आठ प्रकार के गोचराग्रों सात एषणाओं तथा अन्य विविध प्रकार के अभिग्रहों के द्वारा भिक्षावृत्ति को संक्षिप्त किया जाता है।
प्रश्न 11 : रस परित्याग किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर : दूध-दही आदि रसीले पदार्थों का वर्जन रस परित्याग है। इसके नौ प्रकार हैं-(1) निर्विकृति-विगय रहित आहार। (2) प्रणीत रस परित्याग-गरिष्ठ भोजन का परिहार। (3) आचाम्ल-अम्ल रस मिश्रित भात आदि का आहार। (4) आयाम सिक्थ भोजन-ओसामण से मिश्रित अन्न का आहार। (5) अरस आहार-हींग आदि से असंस्कृत आहार। (6) विरस आहार-पुराने धान्य का आहार। (7) अन्त्य आहार-तुच्छ धान्य का आहार। (8) प्रान्त्य आहार-ठंडा आहार। (9) रूक्ष आहार-चिकनाई रहित आहार।
इस तप का प्रयोजन ‘स्वाद-विजय’ है। इसलिए रस परित्याग करने वाला विकृति (विगय), सरस व स्वादिष्ट भोजन नहीं खाता।

(क्रमश:)