कर्म निर्जरा के लिए की गई तपस्या ही सार्थक

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कर्म निर्जरा के लिए की गई तपस्या ही सार्थक

सिरियारी।
आचार्य भिक्षु समाधि स्थल संस्थान के हेम अतिथिगृह में मुनि हितेंद्र कुमार जी के एकासन तप सप्त वर्षीय संपन्नता पर आयोजित कार्यक्रम में शासनश्री मुनि मणिलाल जी ने कहा कि तपस्या का उद्देश्य आत्मशुद्धिता का होना चाहिए। इहलोक, परलोक या ख्याति प्रसिद्ध और यश नाम के लिए नहीं हो। कर्म निर्जरा के लिए की गई तपस्या सार्थक होती है। केवल भूखा रहना ही तपस्या नहीं है। खाद्य संयम की भावना जब प्रबल होती है तभी तपस्या होती है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि मुनि हितेंद्र कुमार जी की तपस्या सर्वोत्कृष्ट है, क्योंकि इनकी तपस्या में सहजता व समत्व का भाव है। यद्यपि तपस्या करना सरल काम नहीं है, मनोबल व संकल्प सुदृढ़ होता है तभी तपस्या हो पाती है। अनुत्तर संयम साधना से ही इतने लंबे समय तक तपस्या हो पाती है अन्यथा व्यक्ति के लिए भूख को सहन करना संभव नहीं है। मुनि चैतन्य कुमार ‘अमन’ ने कहा कि इंद्रिय संयम व आसक्ति का भाव छूटने पर ही तपस्या हो पाती है। मुनि हितेंद्र कुमार जी ने सचमुच अनासक्ति का परिचय दिया है तब ही यह प्रलंब तपस्या हो पाई है।
सिरियारी में व्यवस्था का दायित्व संभालने वाले मुनि आकाश कुमार जी ने कहा कि सात वर्ष यानी लगभग 3245 दिनों तक एकाशन तप करना बहुत कठिन कार्य है। एकाशन अर्थात् एक दिन में मात्र एक बार भोजन करना आसान कार्य नहीं है, मुनि हितेंद्र कुमार जी ने अपनी दुबली-पतली काया में भी प्रबल मनोबल के साथ तपस्या की है और आगे भी ये अपनी तपस्या को जारी रखेंगे। मेरा इनकी तपस्या के प्रति बहुत-बहुत साधुवाद एवं अनुमोदना का भाव है। मुनि हितेंद्र कुमार जी ने आचार्य महाप्रज्ञ व वर्तमान अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कहा कि जब गुरुओं की महान कृपा होती है तभी ये तपस्या संभव होती है। आज आचार्य भिक्षु की समाधि स्थल पर सात वर्ष तपस्या की संपन्नता पर मैं प्रसन्न हूँ। साथ ही मुनि मणिलाल जी के आशीर्वाद व व्यवस्थापक मुनि आकाश कुमार जी से मुझे पूरा सहयोग मिल रहा है। जिससे मैं तपस्या में आगे बढ़ पा रहा हूँ। सहयोग के अभाव में तपस्या करना आसान नहीं है।
इस अवसर पर बहन साध्वी नम्रताश्री जी का संदेश प्राप्त हुआ उसका वाचन किया। कार्यक्रम में नयना मेहता, लीला मेहता, सुरेखा मेहता, शशि जैन ने तपस्या की अनुमोदना करते हुए विचार प्रकट किए। संचालन शिवांगी मेहता ने किया। तप अनुमोदना में सिरियारी संस्थान के स्टाफ वर्ग के साथ अहमदाबाद, सूरत, मुंबई, तमिलनाडू से कांजीवरम्, तेनापेट तथा लूणकरणसर, गंगाशहर आदि स्थानों से काफी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। प्रथम बार सिरियारी संस्थान में तप अनुमोदना कार्यक्रम से अब अपनी प्रसन्नता जाहिर कर रहे थे।