जीवन में रखें वाणी का संयम और विवेक: आचार्यश्री महाश्रमण
नौसर, 31 जनवरी, 2023
जन-जन के उद्धारक आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 14 किलोमीटर का विहार कर नौसर पधारे। मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए परम पावन ने फरमाया कि शास्त्रकार ने शिक्षा प्रदान की हैं-बिना पूछे कुछ भी मत बोलो। वाणी संयम का संदेश इसमें निहित है। आदमी को अपनी अनपेक्षित सलाह देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। वाणी संयम और विवेक महत्त्वपूर्ण है। हमारे जीवन व्यवहार का एक महत्त्वपूर्ण अंग है-बोलना। वाणी के द्वारा अपनी बात को प्रस्तुत करना। कितना आवश्यक बोलना है, उसका विवेक-संयम रखें तो यह धर्म और व्यवहार की दृष्टि से बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अगर बात को संक्षेप में कहा जा सकता है तो उसे लंबा न करें। शांति और प्रेम से काम हो सकता है तो कठोरता एवं गुस्सा न दिखाएँ। सब जगह बोलना भी उपयुक्त हो सकता है, तो न बोलना भी उपयुक्त हो सकता है। आचार्यश्री ने यह एक प्रसंग के माध्यम से समझाया।
मेरे लिए प्रवचन में बोलना ठीक है, तो आपके लिए मौन रखना ठीक है। कहीं खाना ठीक है, तो कहीं न खाना भी ठीक है। किसके लिए तपस्या करनी ठीक है, किसके लिए उपयुक्त नहीं है, यह विवेक रखना जरूरी है। कहाँ बोलना, कब बोलना, कौन-सी बात बोलना, कितना और कैसे बोलना; ये बोलने के अनेक विभाग हैं। इन पर हम मनन करके अपने जीवन में वाणी का प्रयोग करते हैं, तो वो हमारे जीवन में बोलना उपयोगी, अच्छा और महत्त्वपूर्ण हो सकता है। भाषा के बारे में तो दसवेंआलियं आगम में पूरा अध्ययन है। साधु के लिए क्या बोलना, क्या नहीं बोलना। गृहस्थों के लिए भी प्रशिक्षण का विषय बन सकता है, कि बोलें कैसे? किसके साथ कैसे बोलें, भाषण दें तो कैसे बोलें। अलग-अलग प्रयोग का स्थल हो सकता है। मौन अच्छा है, अनावश्यक न बोलें। जहाँ कलह होने की आशंका रहती है, तो वहाँ बिलकुल न बोलें। नहीं बताने की बात भी न बोलें।
साधु कानों से बहुत कुछ सुनता है, आँखों से बहुत कुछ देखता है किंतु सारा सुना हुआ और सारा देखा हुआ साधु को बताना नहीं चाहिए। गहराई से बातें अपने भीतर ही रखें। जहाँ वाणी का असंयम हो जाता है, वहाँ कलह हो सकती है। हम जीवन में वाणी का संयम और विवेक रखने का प्रयास करें तो धर्म की दृष्टि से कर्म बंध से बच सकते हैं। धर्म का लाभ मिल सकता है। व्यवहारकुशल व्यक्ति के रूप में अपने आपको प्रस्तुत कर सकते हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में मीठालाल भंसाली, विनोद ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। महिला मंडल द्वारा भाव व्यक्त किए। स्वागत के क्रम में नौसर गाँव की महिला मंडल ने गुरुदेव के समक्ष अपनी गीतिका की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।