शिक्षा व्यक्तित्व विकास का अनूठा उपक्रम है
कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी ने बर्बन रोड स्थित जैन विद्यालय में छात्रों के मध्य कहा कि जीवन विकास का मुख्य घटक हैµसम्यक् शिक्षा। शिक्षा जीवन का उपहार है, शिक्षा जीवन का आधार है, शिक्षा जीवन का शंृगार है। शिक्षा से आंतरिक सौंदर्य का विकास होता है। संस्कारों के जागरण से ही व्यक्ति संपूर्ण रूप से अपना व्यक्तित्व बना सकता है। शारीरिक, बौद्धिक शिक्षा के साथ-साथ मानसिक, भावनात्मक प्रशिक्षण जरूरी है, जिससे अनुशासन आदि तत्त्वों का विकास हो सकता है। मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने शिक्षा जगत को नया अवदान दिया वह है जीवन विज्ञान। जीवन विज्ञान के प्रयोगों से छात्रों में आशातीत बदलाव आ सकता है। मुनिश्री ने जीवन विज्ञान के प्रयोग कराए। मुनि कुणाल कुमार जी ने अणुव्रत गीत का संगान किया। अभातेयुप के अध्यक्ष पंकज डागा ने कहा कि बालकों को देखकर मुझे भी बचपन याद आ गया। मैं भी कुछ वर्ष तक कलकत्ता में पढ़ा हूँ। बालकों की यह अवस्था फिसलन की है इसमें सावधानी रखना और व्यक्तित्व का निर्माण करना है। विद्यालय की ओर से अध्यापक ने आभार व्यक्त किया। जुगराज बैद ने योगासन के प्रयोग कराए।