जीवन के भौतिक और अध्यात्मिक विकास में बाधक तत्त्व है गुस्सा: आचार्यश्री महाश्रमण
सिंगवाड़ा, 10 फरवरी, 2023
जन-जन के तारक आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः अपनी धवल वाहिनी के साथ लगभग 15 किलोमीटर का विहार कर सिंगवाड़ा पधारे। पावन अमृत वर्षा करते हुए जनोद्धारक परम पावन ने फरमाया कि धार्मिक शास्त्रों में मोक्ष की बात आती है। जीवन का, इस मानव जन्म का अंतिम लक्ष्य मोक्ष हो सकता है। मानव जीवन में कुछ ऐसा करें कि हमेशा के लिए जन्म-मरण की परंपरा से छुटकारा जल्दी ही मिल जाए।
शास्त्रकार ने बताया कि मोक्ष की प्राप्ति में कुछ बाधाएँ हैं, जिनसे मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता। एक बात बताई कि जो आदमी चंड, बहुत गुस्सैल होता है, स्वभाव बड़ा आक्रोशशील होता है वह मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकता। गुस्सा हमारी एक कमजोरी है और गुस्सा हमारा शत्रु भी है।
विद्यार्थियों के लिए तो ज्ञान में एक बाधक तत्त्व गुस्सा बताया गया है। जीवन में गुस्सा नहीं करना चाहिए। कहने की बात कही जा सकती है। बड़ी और कड़ी बात भी कही जा सकती है, पर बिना गुस्से के कहने का अधिक महत्त्व है। क्षमा करना बड़प्पन है। गुस्सा परिहरणीय होता है। शांति-समता धर्म है। साधु तो समतामूर्ति, दयामूर्ति, क्षमामूर्ति, त्यागमूर्ति होना चाहिए। आप गृहस्थों के लिए भी क्षमा अच्छी चीज हो सकती है।
दो प्रकार के शस्त्र होते हैंµआयस शस्त्र और मार्दव शस्त्र। लोहे के शस्त्र आयस शस्त्र होते हैं। मृदुता-नम्रता, मैत्री और प्रेम का शस्त्र मार्दव शस्त्र है। सब जगह आयस शस्त्र काम नहीं करता, कई जगह यह मार्दव शस्त्र काम करता है। प्रेम से दिल को जीता जा सकता है। मार्दव शस्त्र व्यवहार व्यापार में काम कर सकता है, यह एक प्रसंग से गुरुदेव ने समझाया। सूर्य जैसा प्रचंड-तेजस्वी तो भले बनें, पर चंड-गुसैल न बनें। गुस्सा तो काले नाग की तरह होता है।
मोक्ष में एक बाधक तत्त्व हैµगुस्सा। दूसरा हैµअहंकार। चुगलीखोर बनना, बिना सोचे-विचारे काम करना, अनुशासनहीन रहना, विनय में अपांडित्य, संविभाग नहीं करना ये वृत्तियाँ भी मोक्ष और समस्या निवारण में भी बाधक हैं। इन बुराइयों को छोड़ अच्छे मार्ग पर चलें तो मोक्ष की दिशा में गति-प्रगति हो सकती है। समस्या से मुक्ति मिल सकती है, जीवन अच्छा रह सकता है।
पूज्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रतिज्ञाओं को समझाकर विद्यार्थियों एवं स्थानीय लोगों को स्वीकार करवाई।पूज्यप्रवर के स्वागत में राजकीय विद्यालय के प्रिंसिपल जगाराम देवासी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। अणुव्रत समिति एवं विद्यालय परिवार द्वारा प्रतीक चिÐ से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।