जीवन में सद्गुणों की संपदा को पुष्ट रखना चाहिए: आचार्यश्री महाश्रमण
सिरधर, 13 फरवरी, 2023
धर्मज्ञाता आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः विहार कर अपनी धवल सेना के साथ सिरोही जिले के सिरधर ग्राम के आदर्श विद्यालय में पधारे। मुख्य प्रवचन में पूज्यप्रवर ने देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि एक शिक्षा है कि थोड़े के लिए बहुत को नहीं खोना चाहिए। लाभ कम, नुकसान ज्यादा ऐसा काम नहीं करना चाहिए।
एक साधु के पास जो संन्यास का धन है, बहुत बड़ी संपदा होती है। साधु अगर तुच्छ संसारी भोगों के लिए साधुत्व को छोड़ देता है, तो बहुत बड़ी संपदा खो देता है। साधुत्व की आध्यात्मिक संपदा के सामने बड़ी से बड़ी भौतिक संपदा रखी जाए, तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो साधु की संपदा बहुत बड़ी है। भौतिक चीजें तो नश्वर हैं, आगे साथ जाने वाली नहीं हैं।
साधना की संपदा तो आगे भी जाने वाली है। यह एक प्रसंग से समझाया कि साधु के लिए भौतिक रत्न तुच्छ हैं। साधुत्व-संन्यास सर्वोत्तम है। गृहस्थ को भौतिक चीजें अपेक्षित होती हैं। धन भी चाहिए पर धन से बढ़िया चीज है धर्म। धर्म यानी नैतिकता को छोड़कर ज्यादा धन कमाने का प्रयास करता है, मानो थोड़े के लिए बहुत खो देने वाली बात हो जाती है।
श्रावक अर्हन्नक का उदाहरण हम पढ़ते हैं, धर्म के लिए जीवन की परवाह नहीं की। धर्म को छोड़ने से अनेक भव बिगड़ सकते हैं। धर्म जाने के बाद क्या संपत्ति बचेगी। धर्म वह वस्त्र नहीं जो चाहो तो ओढ़ लो, चाहो तो छोड़ दो। गृहस्थ की आजीविका धर्म के साथ हो। अध्यात्म को मोह में आकर छोड़ना नहीं चाहिए। जीवन में अहिंसा, सद्भावना, ईमानदारी जैसे संस्कार विद्यार्थियों में रहें। ज्ञान का अच्छा विकास हो। ज्ञान और आचार जीवन में हो तो विद्यार्थी लाभान्वित हो सकता है, योग्य बन सकता है। विचार, आचार, संस्कार और व्यवहार अच्छा रहे।
अल्प के लिए बहुत को नहीं खोना चाहिए। जीवन में सद्गुणों की संपदा को पुष्ट रखना चाहिए। तुच्छ चीजों के लिए अपने सद्गुणों की संपदा को यथासंभवतया नहीं खोना चाहिए। पूज्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को समझाकर विद्यार्थियों एवं स्थानीय लोगों को स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सरपंच गोमाराम देवासी, विद्यालय की ओर से मनीष कुमार सिंह, स्कूल के बच्चों ने गीत प्रस्तुत किया। सिरोही जिला एसडीएम सीमा खेतान ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।