आदमी की चेतना में सत् संकल्प को सन्निहित करता है अणुव्रत आंदोलन: आचार्यश्री महाश्रमण
अणुव्रत अमृत महोत्सव का भव्य आगाज
खैरोज, 21 फरवरी, 2023
फाल्गुन शुक्ला द्वितीया-अष्टमाचार्य पूज्य कालूगणी की वार्षिक जन्म तिथि। आज ही के दिन आचार्यश्री तुलसी ने 74 वर्ष पूर्व सरदारशहर में अणुव्रत आंदोलन का आगाज किया था। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी का आज से ‘अणुव्रत अमृत महोत्सव’ का शुभारंभ अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में हुआ। पूज्यप्रवर ने ‘संयमः खलु जीवनम्’ एवं गुरुदेव तुलसी के जयकारे के घोष के साथ अमृत महोत्सव के शुभारंभ की घोषणा की। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा अणुव्रत ध्वज फहराया गया एवं अणुव्रत अमृत महोत्सव गीत का संगान किया गया।
अमृत पुरुष ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आज फाल्गुन शुक्ला-1-2 का दिन है। आज अणुव्रत अमृत महोत्सव कार्यक्रम मना रहे हैं। आचार्य तुलसी अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक थे। उनके गुरु पूज्य कालूगणी एवं उनका जन्मदिन शुक्ला दूज रहा है। अणुव्रत आंदोलन की जन्मभूमि सरदारशहर है। आचार्य तुलसी ने एक ऐसा आंदोलन शुरू किया जो तेरापंथ को व्यापक रूप देने वाला निमित्त भूत बन गया। गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन शुरू करने के बाद बहुत लंबी यात्राएँ की थीं। राष्ट्रपति से लेकर आम ग्रामीण जनता तक उनका संपर्क हुआ था।
अणुव्रत को स्वीकार करने के लिए कोई सीमा नहीं है। किसी भी धर्म-जाति या अवस्था का आदमी तो क्या नास्तिक भी अणुव्रत को स्वीकार कर सकता है। अणुव्रत में बहुत व्यापकता है, संकीर्णता नहीं है। पारमार्थिक शिक्षण संस्था व आदर्श साहित्य संघ भी आज के दिन से जुड़े हुए हैं। आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत के लिए बहुत परिश्रम किया था तो आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने भी अपना नेतृत्व-परामर्श और अनुशासित्व प्रदान किया था। आदमी की चेतना में सत्-संकल्प को सन्निहित करने वाला यह अणुव्रत आंदोलन है। आर्थिक सूचिता एक शुद्ध साध्य और साधन की बात बन जाती है।
अणुव्रत आंदोलन को आगे बढ़ाने में अनेक चारित्रात्माओं का योग रहा तो अनेक गृहस्थ कार्यकर्ताओं का अणुव्रत को संप्रसारित करने में योग रहा। गैर तेरापंथी और अजैन जुड़े, इस महा-अभियान को आगे बढ़ाने में बहुतों ने योगदान दिया था। हम यात्रा में लोगों से संपर्क करते हैं, सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति की बात करते हैं, यह एक अणुव्रत का ही कार्य है। इसे आगे बढ़ाने में व्यक्तियों का योगदान है, तो संस्थाओं का भी योगदान है। वर्तमान में मुख्यतया अणुव्रत के अभियान को आगे बढ़ाने में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी अपना दायित्व अदा कर रही है। कार्यकर्ताओं में भी उत्साह प्रतीत हो रहा है। जितना कार्य कर सके, कार्य करते रहें।
मानव जाति के कल्याण के लिए अणुव्रत के नियम-नैतिकता-संयम की उपयोगिता है। आदमी में अच्छे संस्कार होते हैं, तो आदमी अच्छा कार्य भी कर सकता है। आज प्रातः 11ः01 पर यह महोत्सव शुरू हुआ है। अगले वर्ष की यही तिथि और यही समय इसके समापन का हो। हमारी जो यात्रा चल रही है, उस एक वर्ष की यात्रा का नामµ‘अणुव्रत यात्रा’ के रूप में घोषित कर रहे हैं। अच्छा कार्य चलता रहे, अच्छा उत्साह रहे। पूज्यप्रवर ने अणुव्रत गीतµ‘संयममय जीवन हो’ का सुमधुर संगान किया। अणुव्रत के घोषों का सम्मुच्चारण करवाया। अणुव्रत के माध्मय से गुरुदेव तुलसी की भी अच्छी अभ्यर्थना हो सकेगी। अच्छा कार्य चले। मंगलकामना। अणुव्रत का विशेषांक आया है, इससे भी अच्छी प्रेरणा मिले।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि गणाधिपति गुरुदेव तुलसी एक आध्यात्मिक संत ही नहीं थे, साथ-साथ वे राष्ट्रीय और सामाजिक समस्याओं से अनभिज्ञ नहीं थे। उनका चिंतन था कि हम समाज-राष्ट्र में रहते हैं, तो हम उनकी उपेक्षा नहीं कर सकते। उन्होंने अणुव्रत के माध्यम से राष्ट्रीय और सामाजिक चरित्र को उन्नत करने का प्रयास किया। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि हमें संयममय जीवन अपनाना है, तो अणुव्रत की आचार संहिता को जीवन में स्वीकार करना होगा। अणुव्रत के नियम हर व्यक्ति के जीवन में आएँ और वह, उसका परिवार, समाज सुख-चैन की दिशा में आगे बढ़े।
मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने कहा कि गुरुदेव तुलसी ने नैतिकता शून्य धर्म की स्थिति को देखकर अनैतिकता की धूप से बचाने के लिए इस अणुव्रत की छत्री को लोगों के सामने प्रस्तुत किया। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने अपनी भावना अभिव्यक्त करते हुए अणुव्रत आचार संहिता के नियमों को उपस्थित परिषद को स्वीकार करवाए। खेड़ब्रह्मा के विधायक तुषार चैधरी ने पूज्यप्रवर का स्वागत किया। पूर्व अध्यक्ष संजय जैन, आज के संयोजक राजेश सुराणा, कुसुम लुणिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
अणुव्रत के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि मनन कुमार जी ने अणुव्रत के महत्त्व को समझाया। पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में उत्तर बुनियादी आश्रमशाला से प्रिंसिपल मौलिका बेन, सुंदरम आदिवासी आश्रमशाला से प्रियंका बेन ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। विद्यालय के विद्यार्थियों की सुंदर प्रस्तुति हुई। पूज्यप्रवर ने स्थानीय लोगों एवं विद्यार्थियों को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति के संकल्प समझाकर स्वीकार करवाए। अणुविभा के महामंत्री भीखमचंद सुराणा ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।