दुःख मुक्ति का मार्ग है आत्मानुशासन: आचार्यश्री महाश्रमण
सेटेलाइट, अहमदाबाद पश्चिम 14 मार्च, 2023
प्रेरणा प्रदायक आचार्यश्री महाश्रमण जी अहमदाबाद के पश्चिम क्षेत्र प्रेरणा तीर्थ में पधारे। परम पावन ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी के मन में दुःखमुक्त रहने की एक भावना रह सकती है। अनेक शारीरिक-आर्थिक व मानसिक तकलीफ हो जाती है। मन दुखी हो जाता है। भावनात्मक दुःख घृणा, क्रोध आदि हो सकते हैं। आदमी दुःखमुक्त होना चाहता है, तो उसका उपाय किया जाए, बीमारी का समाधान किया जाए। शास्त्रकार ने दुःखमुक्ति का उपाय बताया है कि आदमी अपने आपका ही अभिनिग्रह करे, अपने आप पर नियंत्रण करे, स्वयं पर स्वयं का अनुशासन करे, तो ऐसा करने से दुःखमुक्त हो सकता है। पर ऐसा करना भी कठिन कार्य है।
दूसरों पर शासन करना कठिन काम हो सकता है। स्वयं पर शासन करने के लिए हमारा शरीर, वाणी और मन पर संयम होना चाहिए। इंद्रियों पर संयम करना चाहिए। मन मंगल रहे। इनसे हम आत्मानुशासन करने में आगे बढ़ सकते हैं। गुरु बनने के लिए अच्छा शिष्य बनना पड़ता है। यह एक प्रसंग से समझाया। जैन शासन में अनेक संप्रदाय व संस्थाएँ हैं। हम सभी की आध्यात्मिक सेवा करने का प्रयास करें। साधु समाज की साधना अच्छी चले, उनमें पूजनीयता रहे। श्रावक समाज में भी अच्छे संस्कार रहें। बाल पीढ़ी में अच्छे संस्कारों का सिंचन हो। भौतिकता सुविधा दे सकती है पर आध्यात्मिकता शांति प्रदान करती है। संसाधन के साथ साधना भी हो।
भारत जैन महामंडल भी अच्छा कार्य करती रहे। हमारी ज्ञान संपदा सुरक्षित रहे। आज प्रेरणा तीर्थ आए हैं। जैन समाज में चार तीर्थ होते हैं, हम तरने की दिशा में आगे बढ़ें। जैन शासन में धार्मिक-आध्यात्मिक उन्नयन होता रहे। पूजयप्रवर के स्वागत में पश्चिम सभा से पारसमल कोठारी, व्यवस्था समिति से राजेंद्र बोथरा, भारत जैन महामंडल से सुभाष भाई शाह, संतोष सुराणा, तेरापंथ महिला मंडल ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। अभातेममं की अध्यक्षा नीलम सेठिया ने कल से पूज्यप्रवर की सन्निधि जैन धर्मोस्तु मंगलम् शुरू होने की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।