धर्माचरण से जीवन का कल्याण निश्चित: आचार्यश्री महाश्रमण
शाहीबाग, अहमदाबाद, 16 मार्च, 2023
जिन शासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः अपनी धवल सेना के साथ अहमदाबाद के शाहीबाग स्थित तेरापंथ भवन पधारे। शाहीबाग क्षेत्र अहमदाबाद के जैनों की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। दिगंबर हों या श्वेतांबर सभी संप्रदायों के लोग यहाँ रहते हैं। पूज्यप्रवर का यहाँ 11 दिवसीय प्रवास है। जैनम जयतु शासनम् समवसरण में युगप्रधान आचार्यश्री ने फरमाया कि ‘धम्मो मंगल मुक्किट्ठम्’। यह दसवेंआलियं आगम का प्रथम श्लोक है। यह एक खजाना है। इस एक श्लोक में धर्म का सार भरा हुआ है। आदमी के जीवन में मंगल हो ऐसी कामना रहती है। आदमी स्वयं का भी मंगल चाहता है और दूसरों की भी मंगलकामना करता है।
कुछ पदार्थों को भी मंगल के रूप में स्वीकार किया गया है। समय भी मंगल हो सकता है। द्रव्य मंगल हो सकते हैं, पर उत्कृष्ट भाव मंगल शास्त्रकार ने धर्म को बताया है। धर्म से बड़ा कोई मंगल नहीं है। धर्म अपने आपमें सच्चा धन है, जो आगे भी साथ जा सकता है। दुनिया में अनेक धर्म-संप्रदाय हैं। पर शास्त्रकार ने बताया है कि अहिंसा, संयम और तप उत्कृष्ट धर्म है, जिसे हर कोई धर्म मानता है। धर्म हमारे जीवन में आना चाहिए। मात्र ग्रंथों में धर्म की बातें हैं, उतने से हमारा काम नहीं बनता। ग्रंथों की बात हमारे जीवन में उतरे तो हमारे कल्याण की बात हो सकती है। धर्म स्थान तो सहायक है, धर्म उपादान है, वो जीवन में आए।
धर्म हमारे भाव, विचार और व्यवहार में आए। जैसा हमारा भाव होता है, वैसा हमारा विचार और व्यवहार होता है। शास्त्रकार ने कहा है कि जिसका मन सदा धर्म में रमा रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। साधु देवों के लिए भी वंदनीय होते हैं। अभवी जीव को कभी मुक्ति नहीं मिल सकती। साधु और श्रावक तो रत्नों की माला और तीर्थ है। श्रावक के जितने व्रत हैं, उतना धर्म है।
हम अभी अणुव्रत यात्रा कर रहे हैं। आज अहमदाबाद के शाहीबाग क्षेत्र में आना हुआ है। गुरुदेव तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ जी भी यहाँ पधारे थे। अहमदाबाद धार्मिक संस्कृति से जुड़ा बड़ा नगर है। जगह-जगह धर्म का माहौल देखने को मिलता है। अनेक रूपों में यहाँ साधु-साध्वियों का आना होता है। यह स्वास्थ्य लाभ का भी अच्छा केंद्र बना हुआ है एवं यह उपयोगी क्षेत्र है। वर्तमान में लगभग 162 चारित्रात्माओं का प्रवास हो रहा है। समणीया अलग है। यहाँ अच्छा क्रम चलता रहे। धर्म की चेतना बनी रहे। ज्ञान के साथ आचरण रहे। आज साध्वी रामकुमारी जी ‘सरदारशहर’ से मिलना हुआ है।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि सांस्कृतिक, औद्योगिक, शैक्षणिक धरा अहमदाबाद में आचार्यप्रवर का पधारना हुआ है। अहमदाबाद को धर्म नगरी के रूप में जाना जाता है। अनेक धर्मों के लोग यहाँ रहते हैं। आज अहमदाबाद में एक महासूर्य का आगमन हुआ है। अनुकूलता-प्रतिकूलता में सम रहने वाले आप महासूर्य हैं। हमेशा प्रकाश-आलोक बाँटते रहते हैं। जनता को जागरण का संदेश देने के लिए आप अहमदाबाद पधारे हैं। आदमी को ज्ञान के प्रकाश की अपेक्षा रहती है। आप ज्ञान के अथाह सागर हैं। अज्ञान को हरने वाले हैं।
साध्वी रामकुमारी जी की सहवर्तिनी साध्वियों ने पूज्यप्रवर की अभिवंदना में स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। पूज्यप्रवर के स्वागत में प्रवास व्यवस्था समिति से अरुण बैद, तेरापंथ सेवा समाज से सज्जन सिंघवी, तेरापंथी सभा से विकास पितलिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। तेरापंथ समाज एवं तेरापंथ महिला मंडल द्वारा गीत से भावों की
प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।