मानव जीवन में साधना से परम पद की प्राप्ति संभव: आचार्यश्री महाश्रमण
असलाली, अहमदाबाद 30 मार्च, 2023
चैत्र शुक्ला नवमी, रामनवमी और आचार्य भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस है। लगभग 263 वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु ने एक धर्मक्रांति मारवाड़ के बगड़ी नगर में की थी। बगड़ी की जैतसिंह जी की छतरी आज भी हमें उस आत्मवीर की याद दिलाती है। अहमदाबाद का 21 दिवसीय प्रवास पूर्ण कर आचार्य भिक्षु के परंपरा पट्टधर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने सूरत की ओर अपने चरण आगे बढ़ाए। लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर पूज्यप्रवर असलाली के प्राथमिक विद्यालय में पधारे।
धर्मज्ञाता ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि मनुष्य जीवन के रूप में एक दुर्लभ जीवन हमें प्राप्त हुआ है। शास्त्र में मनुष्य जीवन को दुर्लभ निरूपित किया गया है। मनुष्य एक ऊँचा प्राणी है। मानव जीवन में साधना करके आत्मा से परमात्मा के पद को प्राप्त किया जा सकता है। परमात्मा का स्थान मिलना मानो साधना साध्य है।साधुत्व आए बिना तो सिद्धि मिलती नहीं। भावों में साधुत्व आएगा ही। वेष चाहे साधु का हो या न हो। द्रव्य साधु में भाव साधुत्व नहीं तो कल्याण नहीं हो सकता। आज चैत्र शुक्ला नवमी का महत्त्वपूर्ण दिवस है, जो रामचंद्रजी से जुड़ा दिन रामनवमी है। उनमें पद लोलुपता नहीं थी, उदात्तता थी।
आज का दिन हमारे धर्मसंघ के प्रथम आचार्य, आचार्य भिक्षु से धर्मक्रांति के रूप में जुड़ा हुआ दिन है। आज के दिन उन्होंने एक संप्रदाय स्थानकवासी से अभिनिष्क्रमण किया था। आज भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस है। आचार्य भिक्षु युवावस्था में गार्हस्थ्य अभिनिष्क्रांत हुए थे। वो जब गर्भ में आए तो उनकी माता दीपांजी ने सिंह का स्वप्न देखा था। क्रांति के साथ संघर्ष आ सकता है। समस्या का समाधान तपस्या से हो सकता है। ‘प्रभो! तुम्हारे पावन पथ पर जीवन अर्पण है सारा’ का सुमधुर संगान करवाया। तेरापंथ मेरा पंथ बना रहे। मैं आचार्यश्री भिक्षु को श्रद्धायुक्त वंदना करता हूँ। असलाली गाँव में आज आए हैं, गाँव में सद्भावना, नैतिकता का माहौल बना रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि अहंकार, क्रोध, प्रमाद, राग आदि विद्या ग्रहण के बाधक तत्त्व हैं।