तेरापंथ के अद्वितीय संत थे - मुनि महेंद्र कुमारजी स्वामी
तेरापंथ धर्मसंघ में रत्नों की भरमार रही है। उन रत्नों में कई तो बहुमूल्य रत्न हुए हैं। उसी पंक्ति में एक दीप्तिमान नाम हैµमुनि महेंद्र कुमार जी ‘मुंबई’ का। आचार्यों द्वारा प्रदत्त अलंकरण और सम्मान उसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, आगम मनीषी, प्रेक्षा-प्राध्यापक, प्रोफेसर। मैं उन्हें कई संदर्भों में देखता हूँ तो वे मुझे तेरापंथ के अद्वितीय संत नजर आते हैं। उन कुछ बातों की मैं चर्चा करना चाहूँगा। मुनिश्री प्रथम संत मुंबई के तेरापंथ में। तेरापंथ के प्रथम संत जिन्होंने उस जमाने में बी0एस0सी0 जैसी पढ़ाई संपन्न कर संत बने। तेरापंथ के प्रथम संत जो 16 भाषाओं के ज्ञाता थे। तेरापंथ के प्रथम संत जिन्होंने कितने आगमों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। तेरापंथ के प्रथम संत जो ‘भगवती’ जैसे विशालकाय आगम के भाष्य का कार्य करा रहे थे। तेरापंथ के प्रथम संत जो प्रोफेसर बने। और भी न जाने कितने प्रसंग हो सकते हैं जो उनके साथ जुड़े हुए हैं, जिसमें उनकी अद्वितीयता नजर आती है।
मुनिश्री के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता मुझे नजर आई, जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया वह उनकी विनम्रता। इतने बड़े विद्वान फिर भी गुरुओं के प्रति, रत्नाधिक संतों के प्रति भी विनम्रता। विद्वत्ता के साथ विनय का अद्भुत संगम था उनके जीवन में। तीन-तीन गुरुओं की अनुपम कृपा उन्होंने पाई थी। गुरुदेव तुलसी के करकमलों से तो दीक्षित भी हुए और उनके युग में ही अपनी सेवाएँ मुनिश्री ने देनी प्रारंभ कर दी थी। जिंदगी के लंबे सफर में उतार-चढ़ाव भी आए पर मुनिश्री का मनोबल बहुत मजबूत था। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के युग में वे उनके निकट सहयोगी रहे कई कार्यों में। आचार्यप्रवर का राष्ट्रपति ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम से जो इतना घनिष्ठ संपर्क बना उसमें मुनिश्री का बहुत योगदान रहा था।
आचार्यश्री महाश्रमण जी ने तो मुनिश्री का बहुत ही सम्मान बढ़ाया और विशेष कार्य का जिम्मा भी सौंपा। जहाँ मुनिश्री को बहुश्रुत परिषद् संयोजक बनाया तो ‘भगवती’ जैसे आगम संपादन की जिम्मेदारी भी दी। समय-समय पर आचार्यप्रवर मुनिश्री का उल्लेख कराते ही रहते थे। आज मुनिश्री अचानक प्रयाण कर गए हैं। विश्वास नहीं हो रहा पर काल के आगे किसी का जोर नहीं चलता। मुझ पर भी मुनिश्री का अनंत उपकार है। मेरे वैराग्य को मजबूत कराने वाले, मेरी दीक्षा कराने में भी मुनिश्री का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। मुझ पर मुनिश्री की बहुत मर्जी भी थी वह तो जानने वाले जानते हैं। मुनिश्री की सेवा में अद्भुत निष्ठा के साथ मुनि अजीत कुमार जी स्वामी जुड़े हुए थे कितने वर्षों से। सेवा का दुर्लभ इतिहास अजीत स्वामी ने बनाया है और भी संत सेवा में रहे। मुनि अभिजीत कुमार जी स्वामी, मुनि जागृत कुमार जी, मुनि सिद्धकुमार जी इनको भी सेवा करने के साथ विकास का अवसर मिला। मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी की आत्मा के प्रति शत्-शत् मंगलकामना।