अध्यात्म के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण

अध्यात्म के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण

साध्वी हिमश्री
अध्यात्म जगत के देदीप्यमान नक्षत्र आचार्यश्री महाश्रमण जी उनके जीवन का हर क्षण पुरुषार्थ की प्राणवान कहानी है। सत्यम्, शिवम् एवं सुंदरम् का जीवंत उदाहरण है। आपको मुखमुद्रा सदैव प्रसन्नता लिए हुए है और हृदय सदैव करुणा से भरा हुआ है। आपके व्यक्तित्व में दुर्लभ क्षमता विकासमान है। आप प्रखर मेधा के धनी हैं। आप आत्मज्ञ हैं, स्थिर योगी हैं। वज्रासन में तीन घंटे विराजमान आपकी अद्भुत साधना का परिचायक है।
आचार्यों के आठ संपदा के महान गुण आपमें निहित हैं, आपकी आधारनिष्ठा बड़ी गहराई लिए हुए है। उसमें बड़े साधु-साध्वियाँ कोई भी प्रमाद करते हैं तो आप परिष्कार करने में जागरूक हैं। आपकी गुरुनिष्ठा और समर्पण निष्ठा बेजोड़ है। महापुरुष का अंतकरण परमार्थ से परिपूर्ण होता है। आचार्यप्रवर ने चिंतन में नवीनता का समावेश है एवं नवीनता की शोध में निरंतर लगे रहते हैं। आपकी उच्च ग्रहणशीलता मानसिक क्षमताओं से युक्त है। आपकी कार्यशैली में एकाग्रता देखते हैं। आप फरमाते हैं कि यह कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं है कि कितने कार्यक्रम हाथ में लिए जाते हैं, बल्कि महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें संपादित रूप से संपन्न कैसे किए जाएँ।
बहुत काम चाहे हाथ में न लें पर चाहे एक-दो ही कार्यक्रम हाथ में लें, उसे योजनाबद्ध तरीके से एवं शक्ति के साथ व्यवस्थित रूप से चलाया जाना चाहिए तथा उसे पूरा किया जाना चाहिए कि देखने वालों को ऐसा प्रतीत हो कि कुछ ठोस उपयोगी कार्य हो रहा है। आप फरमाते हैं कि किसी सुकार्य को कभी विराम नहीं देना चाहिए। हर अच्छे काम की हर युग में निर्विवाद अपेक्षा है। आप स्वयं अहिंसा, नैतिकता एवं सद्भावना आदि-आदि कार्यों में उद्यत रहते हैं।
विश्व में जन-जागरणा का कार्य अहिंसा यात्रा के माध्यम से पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल की यात्रा एवं विदेशों में भी नेपाल, भूटान की यात्रा हो चुकी है, पाँव-पाँव चलकर पूरी मानव जाति को अणुव्रत एवं अहिंसा का संदेश दे रहे हैं। आपकी तत्परता इतनी अद्भुत है कि हम सबके लिए अनुकरणीय होती है। संघ का सौभाग्य है कि महातपस्वी, महाश्रमिक, महायशस्वी, वीतराग तुल्य, महामना, नव्य चिंतन पुरुष गुरु मिले, अपने भाग्य की जितनी सराहना करें उतनी ही कम है। आपकी वात्सल्य भरी निगाहों से चतुर्विध धर्मसंघ अभिभूत है, श्रद्धाप्रणत है।