जीवन में अहितकर चीजों के उपयोग से बचें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जीवन में अहितकर चीजों के उपयोग से बचें: आचार्यश्री महाश्रमण

देथाण, वड़ोदरा, 11 अप्रैल, 2023
अणुव्रत दिवस पर अमृत पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी गुजरात यात्रा के अंतर्गत प्रातः लगभग 13ः5 किलोमीटर का विहार कर देथाण के प्राथमिक विद्यालय में प्रवास हेतु पधारे। परम पावन ने अमृत वर्षा करते हुए फरमाया कि आदमी को जीने के लिए सामान्यतया हवा, पानी और भोजन भी चाहिए। ये जीवन की प्रथम श्रेणी की आवश्यकताएँ हैं। इन तीनों में हवा को उत्कृष्ट एवं आवश्यक माना जा सकता है। सामान्यतया हवा सहज प्राप्त हो सकती है। भोजन की तुलना में पानी ज्यादा अपेक्षित हो सकता है। पानी को रत्न कहा गया है। जल, अन्न और सुभाषित वाणी को संस्कृत भाषा में रत्न कहा गया है। पाषाण के रत्नों की तुलना में ये तीन रत्न महत्त्वपूर्ण बताए गए हैं। यह एक प्रसंग से समझाया कि भौतिक संपत्ति का अहंकार न करें।
भोजन भी प्रथम कोटि की आवश्यकता है, पर कई करने वाले लंबी-लंबी तपस्याएँ भी करते हैं। अनाहार की तपस्या करते हैं। भगवान महावीर की तो तपस्याएँ चैविहार होती थीं। भगवान ऋषभ के तो महा वर्षीतप जैसा हो गया था। दूसरी कोटि में मकान और कपड़ा चाहिए। दिगंबर मुनि तो बिना कपड़े ही रहते हैं। कई गरीब बिना मकान के खुले में ही रहने वाले हो सकते हैं। तीसरी कोटि की आवश्यकताओं में शिक्षा और चिकित्सा आ सकती है। यों आदमी के जीवन में अनेक आवश्यकताएँ हो सकती हैं। पर आदमी अनावश्यक चीजों का तो सेवन न करें। नशीली चीजों का सेवन न हो। शाकाहार से काम चलता है, तो मांसाहार का सेवन न करें। जो चीजें हितकर न हों, ऐसी चीजों का सेवन न हो।
अणुव्रत यात्रा में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की बात को प्रमुखता दी जाती है। कार्यकर्ता मार्ग में संपर्क कर लोगों को ये बातें समझाने का प्रयास कर रहे हैं। जनता में संयम की चेतना का विकास हो। संयमः खलु जीवनम्। जीवन व्यवहार में संयम हो। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान लोक-कल्याणकारी उपक्रम है। मानव अच्छा मानव बने। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि हम कर्मवाद पर ध्यान देंगे तो सही निर्णय हमारे सामने आ जाएगा।