ज्ञान का सक्षम साधन है श्रोतेन्द्रिय: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञान का सक्षम साधन है श्रोतेन्द्रिय: आचार्यश्री महाश्रमण

किम, सूरत (गुजरात), 18 अप्रैल, 2023
तेरापंथ के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः अणुव्रत यात्रा के साथ लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर किम में प्रवास हेतु पधारे। मंगल देशना प्रदान करते हुए तरुण तपस्वी ने फरमाया कि हमारे पास पाँच इंद्रियाँ हैं। पाँचवीं इंद्रिय हैµश्रोतेन्द्रिय। श्रोतेन्द्रिय से प्राणी पंचेन्द्रिय बनता है। श्रोतेन्द्रिय हमारे सुनने का साधन है। इससे प्राणी सुनकर शब्द ग्रहण कर लेता है। शब्द और अर्थ में संबंध है। शब्द सुनकर हम अर्थ का बोध कर पाते हैं। शब्द पुद्गल होते हैं। ये कान के द्वारा गृहीत होते हैं। ज्ञान का सक्षम साधन श्रोतेन्द्रिय है। अच्छा जानकार प्रवचन करने वाला अच्छा सुबोध प्रदाता बन सकता है। श्रोता जब ध्यान से सुने तो उसे बोध प्राप्त हो सकता है।
सुन करके आदमी कल्याण के बारे में जानता है, सुन करके आदमी पाप को भी जान लेता है। दोनों को जानने के बाद जो छेक-श्रेयस्कर हो उसका आचरण करना चाहिए। हम कान का अच्छा उपयोग करें। आजकल तो दूर बैठकर भी साक्षात सुना जा सकता है। अतीन्द्रिय ज्ञानी सूक्ष्म को जान सकता है। सुनने से जानकारियाँ मिल सकती हैं। कान का दुरुपयोग न हो। भगवत-आर्षवाणी को कान से सुनें। अच्छी बातों को सुनने का प्रयास करें। न्यायाधीश को भी दोनों तरफ की बात ध्यानपूर्वक सुनकर तटस्थ फैसला लेना चाहिए। अच्छा वक्ता और अच्छा श्रोता मिल जाए। श्रोता सोता न रहे। तीन तरह के आदमी होते हैंµसोता, श्रोता और सरौता। समीक्षात्मक बुद्धि हो।
अच्छे व्यक्तियों के गुणगान हों, उनके प्रति प्रमोद भावना रहे। कान की शक्ति हमारे पास है, यह भी एक विशेषता है। सुनने का यथोचित्य प्रयास करें। दो व्यक्ति बात करते हों तो बीच में न जाएँ। मूर्ख कौन! जो चलता हुए खाए, जो हँसता हुआ बोले, बीती बात को बार-बार याद करे या किसी पर कोई उपकार कर दिया वो बार-बार गिनाए और दो आदमी जब बोल रहे हों तो उनके बीच में चला जाए वो मूर्ख आदमी होता है।
आज सूरत के पार्श्विक क्षेत्र किम आए हैं। यहाँ भी अच्छी धर्म चेतना रहे। साध्वीप्रमुखाश्री जी ने कहा कि गुरु की महिमा अतिशय संपन्न होती है। गुरु के सामने चिंतामणि रत्न, कामधेनू और कल्पवृक्ष का महत्त्व भी बहुत कम हो जाता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें एक ऐसे गुरु प्राप्त हुए हैं, जो शिष्यों की मति के वैभव को बढ़ा रहे हैं। पूज्यप्रवर अणुव्रत यात्रा से मानव को मानव बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष सुरेश, किम के उप-सरपंच मनोहर, ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कन्या मंडल किम व महिला मंडल ने संयुक्त रूप से गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।