मासखमण तप का अभिनंदन
गंगाशहर।
तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा तपोनिष्ठ श्राविका शारदा देवी पुगलिया के मासखमण तपस्या करने पर तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी शशिरेखा जी ने कहा कि जिस व्यक्ति का मनोबल मजबूत होता है और संकल्प शक्ति दृढ़ होती है, वही तपस्या कर सकता है। ऐसे में वर्षीतप के साथ-साथ मासखमण की तपस्या करना बहुत बड़ी बात है। तपस्या कर्म निर्जरा का बहुत बड़ा साधन है। तपस्या हर व्यक्ति नहीं कर सकता। कर्म निर्जरा के साथ-साथ तप से शरीर भी स्वस्थ रहता है। साध्वी ललितकला जी ने सभा को तपस्या का महत्त्व बताते हुए कहा कि इस भयंकर गर्मी में शारदा देवी ने तप का बड़ा काम किया है, उन्होंने वर्षीतप के साथ-साथ 28 की तपस्या की है।
इस अवसर पर कुसुम देवी चोपड़ा ने भी वर्षीतप के साथ-साथ 11 की तपस्या की है। मैं दोनों के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करती हूँ। साध्वी योगप्रभा जी ने कहा कि तपस्या शरीर के लिए एक ऐसी हितकारी औषधि है जो न धरती पर उपजती है, न आकाश से प्रकट होती है, न पर्वत पर पाई जाती है और न ही जल में प्राप्त होती है। अभिनंदन कार्यक्रम का शुभारंभ चैनरूप छाजेड़ द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से किया गया। पुगलिया परिवार तथा चोपड़ा परिवार की तरफ से गीतिका का संगान किया गया। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीतिका का संगान किया। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेममं अध्यक्षा ममता रांका, तेयुप अध्यक्ष अरुण नाहटा ने तप अनुमोदना में अपना वक्तव्य दिया। महिला मंडल द्वारा गीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन संजू लालानी ने किया। तपस्विनी बहन का पताका साहित्य व अभिनंदन पत्र द्वारा सम्मान किया गया।