भगवान महावीर जन्म कल्याणक के विविध आयोजन

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भगवान महावीर जन्म कल्याणक के विविध आयोजन

किशनगढ़
अणुव्रत मार्ग स्थित तेरापंथ भवन में भगवान महावीर के 2622वें जन्म कल्याणक महोत्सव का आयोजन किय गया। प्रातःकालीन प्रभात फेरी का आयोजन किया गया। तेरापंथ भवन से प्रारंभ हुई प्रभात फेरी शार्दुल स्कूल, मुख्य चौराहा, पुरानी मिल, सुमेर सिटी सेंटर, सब्जी मंडी होते हुए पुनः तेरापंथ भवन पहुँची। भगवान महावीर के प्रति आस्था अभिव्यक्ति करते हुए तेरापंथी सभा, तेयुप, महिला मंडल, कन्या मंडल सदस्य एवं ज्ञानशाला के बच्चे अपने-अपने गणवेश में नारों के गुंजन से जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे।
समणी डॉ0 कुसुमप्रज्ञा जी, समणी जिज्ञासाप्रज्ञा जी के सान्निध्य में मुख्य कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का मंगलाचरण सुमन दुगड़ द्वारा किया गया। स्वागत उद्बोधन सभा अध्यक्ष माणकचंद गेलड़ा द्वारा किया गया। समणी जिज्ञासाप्रज्ञा जी ने भगवान महावीर के प्रमुख तीन सिद्धांतों-अहिंसा, अनेकांतवाद व अपरिग्रह का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे ये दूरगामी सिद्धांत जैन और जैनेत्तर व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन के जीवन में उपयोगी साबित हो सकते हैं।
समणी निर्देशिका डॉ0 कुसुमप्रज्ञा जी ने कहा कि आज के युग में विडंबना है कि सभी महावीर को मानते हैं। उनका जन्मदिवस, निर्वाण दिवस मनाते हैं पर जब बात आती है आचरण की, महावीर के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की, महावीर को जीने की, तब हम सभी पीछे हट जाते हैं। हम महावीर को जीने का प्रयास करें, तब यह मानव जीवन मिलना सार्थक हो सकेगा। भगवान ने जीवनोपयोगी क्षमायाचना का सूत्र, इच्छा का सीमाकरण व क्रोध के अल्पीकरण का सूत्र दिया। भगवान ने स्वयं आहार का, इंद्रियों का, निंद्रा का संयम किया और जनमानस को जीवन निर्माण के सूत्र दिए। हम भगवान के जीवन से प्रेरणा लें और अप्रमत्तता की साधना करें।
महिला मंडल, तेयुप, जागृत गेलड़ा, सुरभि सुराणा, महिला मंडल अध्यक्षा अंजू छाजेड़ ने गीत व वक्तव्य के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री निखिल संचेती ने किया। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री डॉ0 अक्षय कवाड़ ने किया।