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साधना का विरल स्रोत है तपस्या
लाडनूं।
तेरापंथी सभा के तत्त्वावधान में अक्षय तृतीया का पर्व जैन विश्व भारती सेवा केंद्र के व्यवस्थापक मुनि रणजीत कुमार जी के सान्निध्य में आयोजित किया गया। ऋषभ द्वार भवन में आयोजित समारोह में मुनि रणजीत कुमार जी ने कहा कि तपस्या साधना का विरल स्रोत है उन्होंने कहा कि महापुरुष जिस पर चल पड़ते हैं, वहीं पर सबके लिए प्रशस्त हो जाता है। आदि तीर्थंकर भगवान ऋषभ धन, वैभव को ठोकर मारकर तपस्या और साधना के पथ पर आगे बढ़े।
मुनि विनोद कुमार जी ने कहा कि वर्षीतप की साधना से व्यक्ति का आत्मबल मजबूत बनता है। मुनि कौशल कुमार जी ने कहा कि तीर्थंकर भगवान ऋषभ की तपस्या की परिसंपन्नता का दिन दुनिया-भर में अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। तेरापंथी सभा के पूर्व मंत्री राजेंद्र खटेड़, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष शांतिलाल बैद, तेममं मंत्री नीता नाहर, राज कोचर, रेणु कोचर, चंद्रकांता दुगड़ आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में तेममं की सदस्याओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन आलोक खटेड़ ने किया।
इससे पूर्व वृद्ध साध्वी सेवा केंद्र में वर्षीतप तपस्विनी साध्वी शीलवती जी ने शासन गौरव साध्वी कल्पलता जी के सान्निध्य में आयोजित समारोह में अपने तप का पारणा कर तप को विराम दिया। इस अवसर पर साध्वी कल्पलता जी ने तप की महत्ता को रेखांकित किया। इस अवसर पर साध्वी लक्ष्यप्रभा जी एवं सहवर्ती साध्वियों ने अपनी गीतिका का संगान किया। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश का वाचन आलोक खटेड़ ने किया। समारोह में सुधीर बैद आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।