अक्षय तृतीया के कार्यक्रम का आयोजन
शाहदरा।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में अक्षय तृतीया का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने कहा कि आज स्थान-स्थान पर समस्त जैन भगवान ऋषभ के पारणे का कार्यक्रम मना रहे हैं। भगवान ऋषभ का जन्म तृतियारे के अंत में पिता नामि, माता मरुदेव के घर में हुआ। आप इस अवसर्पिणी काल के प्रथम राजा, प्रथम मुनि एवं प्रथम तीर्थंकर हुए। भगवान ने तेरह महीने, दस दिन तक भूख-प्यास को समतापूर्वक सहन किया और आज के दिन ही अपने प्रपोत्र श्रेयांस कुमार के हाथों से इक्षुरस से पारणा किया। इसलिए वैसाख शुक्ला तीज का दिन अक्षय तृतीया नाम से अमर हो गया। उसी का अनुसरण करके आज सैकड़ों-हजारों भाई-बहन एक दिन छोड़कर एक दिन अथवा भगवान के दीक्षा दिवस के दिन चैत्रवदि अष्टमी से तप प्रारंभ कर वैसाख शुक्ला तृतीया को अपने तप का पारणा करते हैं। तपस्या का लक्ष्य कर्म निर्जरा होना चाहिए जिससे स्वास्थ्य आदि क्रम भी अपने आप स्वस्थ हो जाते हैं।
जसकरण पारख, पारसमल बोथरा, मेमबाई जैन ने तपस्या का पारणा किया। कुछ भाई-बहनों ने इनके साथ अग्रिम वर्ष के लिए प्रत्याख्यान किए। मुनि कमल कुमार जी का 44वाँ वर्ष संपन्न हुआ। आगे भी निरंतर गतिमान है। कार्यक्रम में मुनि अमन कुमार जी, मुनि नमि कुमार जी, संजय खटेड़, पन्नालाल बैद, कमल गांधी, अशोक बैद, बाबूलाल दुगड़, तेजकरण सुराणा, दीपक कुचेरिया, मुकेश जैन, आनंद बुच्चा, मंजु सोनी, मंजु बांठिया आदि ने अपने-अपने विचार प्रकट किए। महिला मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। कार्यक्रम का समापन संघगान के पश्चात मंगलपाठ से हुआ।