दुर्लभ मानव जीवन को स्वार्थी नहीं परमार्थी बनाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण
श्रद्धा व भक्तिभाव से मना युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण का 62वाँ जन्मोत्सव
वेसू-सूरत, 29 अप्रैल, 2023
आज ही के दिन लगभग 61 वर्ष पूर्व सरदारशहर के झुमरमलजी दुगड़ के परिवार में रत्नाधिक माँ नेमांजी की कुक्षि से एक बालक का जन्म हुआ था। नाम रखा गया मोहन। लगभग 12 वर्ष की अल्पायु में बालक मोहन ने संयम स्वीकार किया और उत्तरोत्तर सेवा, विनय भावना एवं संघनिष्ठा से मुनि मोहन गणाधिपति गुरुदेव तुलसी एवं आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की नजरों में समाहित हो गए। तेरापंथ के एकादशम् अधिशास्ता बन गए। तेरापंथ के महासूर्य, जन-जन की आस्था के केंद्र आचार्यश्री महाश्रमण जी का 62वाँ जन्म दिवस सूरत की धरा पर मनाया गया। प्रातः 4 बजे से ही श्रावक-श्राविका समाज अपने आराध्य का अभिवादन करने के लिए उपस्थित होना शुरू हो गया। परम पावन लगभग 4ः11 बजे महावीर समवसरण में पधार तो हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने अपने गणमान्य को वर्धापित करते हुए जन्म दिवस की मंगल शुभकामनाएँ प्रकट की।
युगप्रधान के जन्मोत्सव की अभ्यर्थना कराते हुए मुख्य मुनिश्री ने मंगल गीत ‘भिक्षु गण के भाग्य विधाता, जिन प्रतिनिधि त्रिभुवन त्राता, वर्धमान करता गण संसार है। हो गुरुवर मुख-मुख पर तेरी जय-जयकार है’ का सुमधुर संगान किया। संस्कारकों ने जन्म संस्कार करते हुए मंत्रोच्चार किया। पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में ज्ञानार्थी, महासभाध्यक्ष मनसुख सेठिया, अभातेयुप अध्यक्ष पंकज डागा, अभातेममं अध्यक्षा नीलम सेठिया, टीपीएफ अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल, आचार्य महाश्रमण अक्षय तृतीया प्रवास समिति, सूरत के अध्यक्ष संजय सुराणा, अभातेममं ट्रस्टी कनक बरमेचा, महामंत्री मधु देरासरिया, उपासक अर्जुन मेड़तवाल, महासभा संगठन मंत्री प्रकाश डागलिया ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। सूर्योदय के समय पारिवारिकजनों ने मंगल थाली बजाकर बधाई गीत का सुमधुर संगान किया। पूज्यप्रवर ने पारिवारिकजनों को स्टेज पर बुलाकर निकट से सेवा करवाई। सांसारिक पारिवारिक जनों का परिचय भी करवाया। साध्वीवृंद एवं समणीवृंद ने समूह गीत से पूज्यप्रवर के जन्मदिवस की अभ्यर्थना की।
मानवता के मसीहा, तेरापंथ के सरताज आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने जन्म दिवस पर पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि हमें मानव जीवन प्राप्त हुआ है। ये मानव जीवन दुर्लभ कहा गया है। दुर्लभ होने के साथ-साथ यह बहुत महत्त्वपूर्ण भी होता है। अनंत-अनंत जन्मों तक कई जीवों को मानव जन्म प्राप्त नहीं होता है। महत्त्वपूर्ण इसलिए है कि मानव जीवन ही ऐसा जीवन है, जहाँ से आत्मा परमात्मा पद को प्राप्त कर सकती है।
इस दुर्लभ और महत्त्वपूर्ण जीवन को कैसे और क्यों जीएँ, जीवन का लक्ष्य क्या है? मनुष्य में चिंतन शक्ति होती है। जीवन का प्रबंधन कैसा हो? शास्त्र में बताया गया है कि जीवन से हमें लाभ क्या होगा? सबसे अच्छा लाभ है कि मोक्ष से नैकट्य हो जाए या मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। पूर्व बंधे कर्मों को क्षीण करने के लिए इस देह को धारण करें। संयम और तप से अपने आपको भावित करते हुए जीवन जीएँ। जन्म तो हर संसारी प्राणी का होता है। जीवन पुरुषार्थ से जीएँ। जो आदमी संयम और परोपकार का जीवन जीता है, वह एक अच्छा जीवन जीने वाला होता है। स्वार्थी न बनें, आध्यात्मिक संदर्भ में परार्थी भी बनें। बच्चों को अच्छे प्रसंग दिए जाएँ। पूज्यप्रवर ने अपने बचपन के प्रसंग भी सुनाए। जीवन में ध्यान-योग से तेजस्विता आ सकती है। बाल सूर्य का दर्शन केंद्र पर ध्यान करते हुए णमो सिद्धाणं का प्रयोग करें? तेजस्विता के साथ शीतलता रहे।
शांति में रहो पर जरूरत हो तो क्रांति भी करो। विरोधों से डरें नहीं। अनुशासन भी अच्छा रहे। मुमुक्षुओं की संख्या वृद्धि पर सभी चारित्रात्माएँ ध्यान दें। मनुष्य जीवन में साधना का पथ-दीक्षा मिल जाए तो बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो जाती है। गुरुदेव तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञजी जैसे गुरु हमें मिले। हमारा यह दायित्व है कि बाल पीढ़ी पर ध्यान देकर अच्छे संस्कार देते रहें। तेरापंथ धर्मसंघ हमारा पूरा परिवार है। ये हमारा परिवार धार्मिक, आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित होता रहे। दुगड़ परिवार में भी धार्मिक-आध्यात्मिक विकास होता रहे। साधु-साध्वियाँ व समणियाँ भी अपने नातिलों को सेवा कराएँ तो ध्यान दें कि कौन मुमुक्षु रूप में तैयार हो सकता है। यह प्रयास चलता रहे। हम मानव जीवन का अच्छा उपयोग करें।
भगवान महावीर यूनिवर्सिटी परिवार व संजय सुराणा, संजय जैन ने पूज्यप्रवर से अर्ज की कि 2024 सूरत चातुर्मास यथासंभवतया भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में फरमाने की कृपा करें। पूज्यप्रवर ने महती कृपा कर 2024 सूरत चातुर्मास भगवान महावीर यूनिवर्सिटी परिसर में करने की घोषणा करवाई। मुनि उदित कुमार जी आदि ठाणा का चातुर्मास उधना एवं साध्वी त्रिशला कुमारी जी का चातुर्मास सिटीलाइट भवन में करने का फरमाया। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि साध्वीप्रमुखा शासनमाता ने आदमी की दो विशेषताएँ महाश्रमण अष्टकम् में बताई हैंµपवित्र और तेजस्वी आभामंडल से युक्त। जिसकी आत्मा निर्मल होती है, उसका आभामंडल पवित्र होता है। आचार्यप्रवर की उत्कृष्ट साधना का कारण हैµउत्कृष्ट अप्रमत्तता। लगता है कि जागरूकता के संस्कार आपको पूर्व जन्म से प्राप्त हुए हैं।
पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में मुनिवृंद द्वारा समूह गीत ‘खम्मा बोलो ने मारे लाल ने’ के सुमधुर संगान से की। मुनि राजकुमारजी, मुनि कोमलकुमार जी, मुनि मोहजीत कुमार जी, मुनि गौरव कुमार जी, मुनि अनेकांत कुमार जी, मुनि विनम्र कुमार जी, मुनि वर्धमान जी, मुनि अनुशासन कुमार जी, मुनि प्रिंसकुमार जी, मुनि नम्रकुमार जी, मुनि केशीकुमार जी, मुनि जयेश कुमार जी, मुनि रम्यकुमारजी, मुनि ऋषि कुमार जी, मुनि चिन्मय कुमार जी, मुनि मेधार्य कुमार जी, मुनि देवकुमार जी ने भी अपनी भावना पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में अभिव्यक्त की।
साध्वी त्रिशला कुमारी जी, साध्वी हिमश्री जी, साध्वी संगीतप्रभा जी, साध्वी पावनप्रभाजी, साध्वी आरोग्यश्री जी, साध्वी चारित्रयशा जी, साध्वी तन्मयप्रभा जी, साध्वी ख्यातियशा जी, साध्वी रश्मिप्रभा जी, साध्वी चेतनप्रभाजी, साध्वी चैतन्ययशाजी, साध्वी ऋषिप्रभा जी, साध्वी अखिलयशा जी, साध्वी मंजुलयशा जी, साध्वी मलययशा जी, साध्वी स्तुतिप्रभाजी, साध्वी अक्षयप्रभा जी, समणी अक्षयप्रज्ञा जी, समणी निर्मलप्रज्ञा जी आदि ने पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में अपनी भावना अभिव्यक्त की।
पूज्यप्रवर की अभ्यर्थना में सांसारिक दुगड़ परिवार ने गीत की प्रस्तुति दी। सूरज करण, श्रीचंद दुगड़, चिन्मय, खुशबू, प्रेक्षा, आज्ञा बच्छावत, रतनी देवी बोथरा ने भी अपनी भावना रखी। ज्ञानशाला की विविध राज्यों की वेशभूषा व बोली में सुंदर प्रस्तुति हुई। उपासिका मंजु दुगड़ ने 35 की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। सन् 2024 का जन्मोत्सव-पट्टोत्सव के कार्यक्रम जालना में होने की संभावना है। सुनील सेठिया ने उस कार्यक्रम के बैनर का पूज्यप्रवर की सन्निधि में अनावरण किया। सूरत समाज द्वारा समूह गीत की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।