अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

कर्म बोध
प्रकृति व करण
 
प्रश्न 4 : ज्ञानावरणीय व दर्शनावरणीय कर्म बंध के क्या कारण हैं?
उत्तर : ज्ञानावरणीय कर्म बंध के छह कारण हैं-
(1) ज्ञान और ज्ञानी से प्रतिकूलता रखना, (2) ज्ञान और ज्ञानी की निंदा, अवहेलना करना, (3) ज्ञान-प्राप्ति में अंतराय (बाधा) डालना, (4) ज्ञान व ज्ञानी से प्रद्वेष करना, (5) ज्ञान व ज्ञानी की आशातना करना, (6) ज्ञान व ज्ञानी के वचनों में विसंवाद अर्थात् विरोध दिखाना।
उपरोक्त इन छह कारणों में ज्ञान के स्थान पर दर्शन शब्द जोड़ने पर दर्शनावरणीय कर्म बंध के कारण बन जाते हैं।
 
प्रश्न 5 : वेदनीय कर्म बंध के क्या कारण हैं?
उत्तर : सात वेदनीय कर्म बंध के छह कारण हैं-
(1) प्राण, भूत, जीव, सत्त्व को अपनी असद् प्रवृत्ति से दु:ख न देना, (2) दीन न बनाना, (3) शोक पैदा न करना, (4) न रुलाना, (5) लाठी आदि से प्रहार न करना, (6) परितापित न करना।
इनसे विपरीत प्रवृत्ति करने पर असात वेदनीय कर्म बंध के कारण बनते हैं।
 
प्रश्न 6 : मोहनीय कर्म बंध के क्या कारण हैं?
उत्तर : मोहनीय कर्म बंध के छह कारण हैं-
(1 - 4) तीव्र क्रोध, मान, माया, लोभ, (5) तीव्र दर्शन मोह-मिथ्यात्व, (6) तीव्र चारित्र मोह-नौ नो कषाय रूप।
 
(क्रमश:)