संयम जीवन सुरक्षित रहे और इसकी गरिमा रहे अक्षुण्ण: आचार्यश्री महाश्रमण
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष का भव्य शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आचार्यप्रवर के दीक्षा महोत्सव पर भेजा शुभकामना संदेश
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी का प्रथम मनोनयन दिवस का भी रहा शुभ अवसर
वेसू-सूरत, 4 मई, 2023
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी का 50वाँ दीक्षा कल्याणक महोत्सव का भव्य शुभारंभ डायमंड नगरी सूरत में समायोजित हुआ। प्रातः 4 बजे से चतुर्विध धर्मसंघ अपने आराध्य को बधाई और शुीाकामना संप्रेषित करने के लिए लालायित था। उपस्थिति का आलम यह था कि सिटीलाईट का भवन 4ः30 बजे तक खचाखच भर गया। भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में आयोजित इस महोत्सव में सकल संघ अपने आराध्य को इस महान अवसर पर वर्धापित कर रहा था। युवा शक्ति इस दिन को ‘युवा दिवस’ के रूप में मनाकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रही थी। इस महोत्सव के अवसर पर संपूर्ण भारत के अनेक क्षेत्रों से श्रावक-श्राविका उपस्थित होकर तेरापंथ के महान सूर्य को वर्धापित कर रहे थे।
महावीर समवसरण में 50वें दीक्षा कल्याणक महोत्सव का शुभारंभ आचार्यप्रवर के मंगल मंत्रोच्चार से हुआ। तेरापंथ श्रावक समाज सूरत से गीत के माध्यम से आचार्यप्रवर को वर्धापित किया। आज ही के पावन दिन पर पूज्यप्रवर ने मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभा जी को सरदारशहर में साध्वी प्रमुखा के पद पर मनोनीत किया था। अमृत महोत्सव के अवसर पर अमृत पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि अनंत काल की जीव की यात्रा में वह समय महत्त्वपूर्ण उपलब्धि का होता है, जब जीव को सम्यक्त्व की प्राप्ति हो जाती है। और वह समय भी महत्त्वपूर्ण होता है, जब सर्व विरति रूप चारित्र-रत्न की प्राप्ति होती है। फिर वह दिन भी कितना महत्त्वपूर्ण है जब बारहवाँ गुणस्थान प्राप्त हो जाता है। फिर आगे तो सब कुछ अपने आप होने वाला ही है।
हम चारित्रात्माओं ने यह अध्यात्म
का पथ स्वीकार किया है। आज वैशाख शुक्ला चतुर्दशी है, मेरा दीक्षा दिवस है। मंचासीन हम सभी ने दीक्षा ली है और सबका अपना-अपना दीक्षा दिवस है। आज मेरी दीक्षा के 49 वर्ष पूरे हो गए और पचासवें वर्ष का शुभारंभ समारोह मनाया जा रहा है। इसके भीतर भी एक भक्ति-कर्तव्य का भाव दृष्टिगत हो सकता है। आज मैंने संयम पर्याय के पचासवें वर्ष में प्रवेश किया है। आज के दिन मुनि सुमेरमल जी ‘लाडनूं’ ने दीक्षा प्रदान की थी। इसकी पृष्ठभूमि में अनेक चारित्रात्माओं की प्रेरणा-उपदेश भी रहा होगा। अभिभावकों का भी आज्ञा देने में सहयोग रहा था। माँ मुझे अच्छे रास्ते पर साथ में ले जाती थी। गुरुदेव तुलसी की आज्ञा प्राप्त हुई और साध्वीप्रमुखा भी उस समय वहाँ विराजित थी।
मैंने कालूगणी की वार्षिक पुण्यतिथि पर शादी नहीं करने और दीक्षा लेने का संकल्प किया था। वो संकल्प आज के दिन ही पूरा हुआ था। मुनि उदित कुमार जी का भी आज 50वाँ दीक्षा दिवस है। मैं इनको वंदन करते हुए मंगलकामना करता हूँ। संयम पर्याय बढ़े और धर्मसंघ की सेवा करते रहें। जीवन में अनेक लोगों से प्रेरणा प्राप्त हो सकती है। गुरुओं से भी जो प्रेरणाएँ मिलती हैं, वो जीवन की थाती हो सकती हैं। आगम आदि ग्रंथों के स्वाध्याय से भी प्रेरणाएँ मिलती हैं। हम संयम की जितनी निर्मलता बढ़ा सकें, बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। अनेक साधुओं व साध्वियों से भी प्रेरणाएँ मिली थीं। आदमी दूसरों से उपकृत होता है तो उसे दूसरों का उपकार भी करते रहना चाहिए।
अनेक साधु-साध्वियों का सहयोग मुझे मिलता रहता है। मैं भी सभी को सहयोग देता रहूँ। संयम की निर्मलता सोने की तरह मेरी भी बढ़े। संयम की चद्दर के साथ साधना अच्छी चले और दायित्व की चद्दर भी निर्मल रहे। धर्मसंघ हमारा उपकारी है। मैं आज मुनि सुमेरमलजी स्वामी ‘लाडनूं’ को श्रद्धा के साथ नमन करता हूँ। उनके हाथों से दीक्षित चारों ही संत यहाँ उपस्थित हैं। महामना आचार्य भिक्षु के इस धर्मसंघ में हमें दीक्षित होने का मौका मिला। गुरुदेव तुलसी एवं आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी को तो साक्षात् देखा है। अमृत महोत्सव वर्ष पर साधु-साध्वियों, समणियों एवं श्रावक-श्राविकाओं ने संकल्प भी लिए हैं। कुल 51-51 संकल्प हैं, वो जितना हो सके पालन करने का प्रयास करें। मुमुक्षु संख्या वृद्धि का प्रयास हो।
आज साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी का भी जन्म दिवस है। साध्वीप्रमुखा के पद पर मनोनीत होने के बाद आज 1 वर्ष संपन्न हो रहा है एवं दूसरे वर्ष में प्रवेश हो रहा है। उनके प्रति भी मैं बहुत-बहुत शुभेच्छा व्यक्त करता हूँ। साध्वीप्रमुखाश्री दीर्घकाल तक धर्मसंघ की सेवा करती रहे, साध्वी संघ की चित्त समाधि के लिए कार्य करती रहे, यही मंगलभावना। यह उनके जीवन का स्वर्णिम काल है। मैं उनके प्रति शुभकामना प्रेषित करता हूँ। पूज्यप्रवर के संयम जीवन के 50वें वर्ष के प्रसंग पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुभकामना संदेश भेजा जिसका वाचन मुख्य मुनिप्रवर ने किया। इस अवसर पर साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि जो व्यक्ति गुरुजनों की सेवा करता है, गुरुजनों का बहुमान करता है उसका साधुत्व निर्मल रहता है। आचार्यश्री महाश्रमण जी अत्यंत करुणाशील आचार्य हैं। रुग्णजनों एवं बाल साधुओं के प्रति भी उनके भीतर में करुणा का स्त्रोत बहता रहता है। उन्हें यश या प्रतिष्ठा की कोई भावना नहीं है। ऐसी अनेक विशेषताओं ने उन्हें अध्यात्म के शिखर पर पहुँचाया है। मुनिवृंद एवं समणीवृंद द्वारा मधुर गीत प्रस्तुत किए गए।
मुख्य मुनि महावीर कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री की प्रत्येक गतिविधि के साथ स्व-कल्याण एवं पर-कल्याण की भावना जुड़ी हुई होती है। उन्होंने अनेक लोगों को नशा मुक्त किया है। उन्होंने अनेक रोगियों को ऐसे मंत्र दिए हैं जिसके द्वारा वे रोग मुक्त हो गए हैं। अनेक लोगों को मांसाहार भी छुड़ाया है। पूज्यप्रवर जनकल्याण के लिए सदैव समर्पित है। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमण जी महान उपशम योगी हैं। आचार्यप्रवर की अनासक्त चेतना श्रेष्ठ है। उनके संयम पर्याय की उत्तरोत्तर उज्ज्वलता की मंगलकामना करती हूँ। मुनि उदित कुमार जी ने कहा कि आचार्यश्री के साथ ही दीक्षा लेने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं उनका सहयात्री सहदीक्षित एवं सहजात होने का गौरव अनुभव करता हूँ।
आचार्यश्री के संसारपक्षीय भ्राता सूरजकरणजी दुगड़ एवं श्रीचंदजी दुगड़ ने बचपन के संस्मरण सुनाए तो श्रोता भाव-विभोर हो गए। मुनि कुमारश्रमण जी ने आचार्यश्री की जागरूकता एवं चरित्र की निर्मलता की हृदय से अनुमोदना की। तेरापंथी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनसुख सेठिया, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति, सूरत के अध्यक्ष संजय सुराणा, भगवान महावीर यूनिवर्सिटी के संजय जैन, अभातेयुप अध्यक्ष पंकज डागा, टीपीएफ राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज ओस्तवाल, अणुविभा गुजरात प्रभारी अर्जुन मेडतवाल आदि ने अपने भाव प्रस्तुत किए। अभातेयुप द्वारा परिसंवाद, उपासक श्रेणी द्वारा मधुर गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।
मुंबई का विशाल संघ आचार्यश्री के श्रीचरणों में उपस्थित हुआ। दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम के अंतर्गत आचार्य महाश्रमण अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति, सूरत के अध्यक्ष संजय सुराणा ने दायित्व का ध्वज आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति, मुंबई के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़ के हाथों में सुपुर्द किया तो पूरा पंडाल जय-जय ज्योति चरण - जय-जय महाश्रमण की मंगल ध्वनि से गूँज उठा। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।