आचार्य महाश्रमण - द्वितीया आचार्य तुलसी

आचार्य महाश्रमण - द्वितीया आचार्य तुलसी

जब मैंने ‘मेरा जीवन - मेरा दर्शन’ के कुछ भाग पढ़े, तो मैंने पाया कि आचार्य तुलसी और आचार्य महाश्रमण में कई समानताएँ हैं, जैसेµ
- दोनों ही गुरुओं ने ओसवाल परिवार में जन्म लिया।
- दोनों ही गुरुओं के संसारपक्षीय पिताजी का नाम झूमरमल जी था।
- दोनों ही गुरुओं का नाम ‘तेरापंथ की राजधानी’ में हुआµ
आचार्य तुलसी - वर्तमान राजधानी लाडनूं
आचार्य महाश्रमण - भूतपूर्व राजधानी सरदारशहर
- दोनों ही गुरुओं के घर में ‘मोहन’ नाम का व्यक्ति था।
मोहन - आचार्य तुलसी के संसारपक्षीय भाई
मोहन - आचार्य महाश्रमण का संसारपक्षीय नाम
- दोनों ही गुरुओं के दीक्षा के प्रसंग में आचार्य कालूगणी का रोल था।
आचार्य तुलसी - कालूगणी के व्यक्तित्व को देखकर प्रभावित हुए और दीक्षा ग्रहण की।
आचार्य महाश्रमण - कालूगणी के महाप्रयाण दिवस के दिन कालूगणी की माला फेरी और निर्णय किया कि मुझे तो साधु बनना है और फिर दीक्षा ग्रहण की।
- आचार्य तुलसी गौर वर्ण थे और आचार्य महाश्रमण भी गौर वर्ण हैं।
- दोनों ने धर्मसंघ में नवीनता लाई।
- तेरापंथ धर्मसंघ में सिर्फ ये दो ही आचार्य हैं जिन्होंने दक्षिण यात्रा की।
- दोनों ही प्रथम आचर्य हैं।
आचार्य तुलसी - तेरापंथ की तीसरी शताब्दी के प्रथम आचार्य।
आचार्य महाश्रमण - तेरापंथ के दूसरे दशक के प्रथम आचार्य।
- ‘साध्वी प्रमुखा’ के चयन विषय में भी समानता है।
सूर्योदय के बाद साध्वियाँ गुरु वंदना के लिए उपस्थित हुईं। आचार्यश्री तुलसी ने सूचित कर दिया कि आज प्रवचन के समय साध्वियों की व्यवस्था करने का विचार है। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने भी ऐसा ही किया।
- ‘साध्वी प्रमुखाश्री’ के चयन दिवस में चौदह के अंक की समानता है।
आचार्य तुलसी ने साध्वी प्रमुखा (कनकप्रभाजी) को 14 जनवरी के दिन बनाया था।
आचार्य महाश्रमण ने साध्वी प्रमुखा (विश्रुतविभा जी) को चौदस के दिन बनाया था।
- दोनों ही आचार्यों ने साध्वी प्रमुखा की नियुक्ति उत्सव वाले दिन की।
साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी की नियुक्ति मकर संक्रांति के दिन।
साध्वी प्रमुखा विश्रुतविभा जी की नियुक्ति आचार्य महाश्रमण दीक्षा दिवस (युवा दिवस) के दिन।
- दोनों ही गुरुओं ने भव्य दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया।
आचार्य तुलसी ने एक साथ 31 व्यक्तियों को दीक्षा दी।
आचार्य महाश्रमण ने एक साथ 43 व्यक्तियों को दीक्षा दी।
- दोनों ही आचार्यों ने प्रलंब यात्राएँ की।
- आचार्यश्री तुलसी प्रायः सुबह 4 बजे जाग जाते थे।
आचार्यश्री महाश्रमण का भी यही समय है सुबह विराजने का।
- दोनों ही आचार्यों ने ‘मंत्री मुनि’ पद किसी संत को दिया।
आचार्य तुलसी ने मगनलालजी स्वामी को।
आचार्य महाश्रमण ने सुमेरमलजी स्वामी को।
- आचार्य तुलसी को संगीत में बहुत रुचि थी। उनका कंठ मधुर था।
आचार्य महाश्रमण का भी जबरदस्त ैपदहपदह ज्ंसमदज है।
- दोनों ही गुरुओं ने ‘लाल किला’ (Red Fort, Delhi) पर भव्य कार्यक्रम किया।
- दोनों ही गुरु‘K’ से Kolkata, Kerela, Karnataka और Kanyakumari पधारे।
- दोनों ही आचार्यों ने नया पद सृजन किया।
आचार्य तुलसी ने महाश्रमण और महाश्रमणी का पद।
आचार्य महाश्रमण ने मुख्य मुनि और साध्वीवर्या का पद।
- आचार्य तुलसी ने मुंबई में चौमासा किया और अगला मर्यादा महोत्सव मुंबई में ही किया।
आचार्य महाश्रमण का भी यही भाव है। 2023 का चौमासा और 2024 का मर्यादा महोत्सव मुंबई में है।
- आचार्य तुलसी ने योगक्षेम वर्ष लाडनूं में मनाया और आचार्य महाश्रमण ने भी योगक्षेम वर्ष लाडनूं में मनाने की घोषणा की है।
- आचार्य तुलसी ने एक व्यक्ति को दीक्षा दी और उनका नाम रखा ‘मुनि वर्धमान’।
आचार्य महाश्रमण ने भी एक व्यक्ति को दीक्षा दी और उसका नाम रखा ‘मुनि वर्धमान’।