अक्षय तृतीया के विविध आयोजन

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अक्षय तृतीया के विविध आयोजन

छापर
अक्षय तृतीया के ऐतिहासिक दिन के आयोजन पर शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म के इतिहास में वैशाख शुक्ला तृतीया का दिन विशेष महत्त्व रखता है। इस दिन युग के आदि कर्ता प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने दान की परंपरा की प्रतिष्ठापना की थी। तब तक उस समय के लोग दान के स्वरूप से पूर्णतः अनभिज्ञ थे। ऋषभ ने लौकिक विद्याओं का युग को प्रशिक्षण देने के बाद लोकोत्तर विद्या का बोध देने के लिए साधना और तपस्या का पथ स्वीकार किया। मुनि ऋषभ भिक्षा के लिए घूमते पर लोग अनभिज्ञता के कारण हाथी, घोड़े, रत्न, आभूषण उनको भेंट करने के लिए लाते, रोटी जैसी सामान्य वस्तु की ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया। कहते हैं, इस तरह घूमते-घूमते एक वर्ष चालीस दिन बीत गए। एक रात ऋषभ के प्रपौत्र श्रेयांस कुमार को अमृत रस से मेरू पर्वत को सींचने का स्वप्न आया। वह स्वप्न के अर्थ का चिंतन कर रहा था। बस तभी उसने बाबा ऋषभ को महल की ओर आते हुए देखा और पूर्वजन्म की स्मृति होने से श्रेयांस ने नीचे उतरकर अपने स्वप्न के फलितार्थ के रूप में बाबा को भिक्षा लेने का निवेदन किया। इक्षुरस के 108 घड़े भेंट स्वरूप आए हुए महल में पड़े थे। श्रेयांस ने रस बहराकर पात्र दान का लाभ लिया। दान की विशुद्ध परंपरा की उस दिन शुरुआत हुई।
आज भी हजारों भाई-बहन वर्षीतप करके इस दिन पारणा करते हैं व आचार्यµसंत-संतियों की यथाशक्य सन्निधि प्राप्त करके पात्र दान का लाभ लेते हैं। इस बार सूरत में 1100 से अधिक पारणे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में हो रहे हैं। एक नया कीर्तिमान घटित हो रहा है। यहाँ छापर से भी पारस देवी नाहटा, 36वें वर्षीतप का पारणा करने सूरत गुरुदेव की सेवा में गई हैं। छापर में विराजित मुनि दिनकर जी, मुनि हेमराज जी, मुनि रमणीय कुमार जी, मुनि वर्षीतप की आराधना में लगे हुए हैं। मुनि दिनकर जी तो काफी समय से तेले-तेले तप में तपस्वियों को तन की मंगलकामना करते हैं। शासनश्री मुनिश्री ने गीत का संगान किया। मुनि आत्मानंद जी, मुनि हेमराजजी, मुनि रमणीय कुमार जी ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम महिला मंडल के मंगलाचरण से प्रारंभ हुआ। रेखाराम गोदारा, चमन दुधोड़िया, जीवनमल मालू, प्रदीप सुराणा, मंजु दुधोड़िया, सुमन बैद, सपना बैद, पूर्वा, दीक्षिता, छाया, विनोद नाहटा, डूंगरगढ़ के विनोद गंग व निशांत गंग ने अपने भाषण व गीत के माध्यम से तपस्वी संतों की वर्धापना की। कार्यक्रम का संयोजन तेरापंथी सभा के प्रवक्ता प्रदीप सुराणा ने किया।