आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक सत्र का आयोजन

संस्थाएं

आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक सत्र का आयोजन

नागपुर।
टीपीएफ, नागपुर ने कर्म के सिद्धांत पर एक आध्यात्मिक ज्ञानवर्धक सत्र का आयोजन तेरापंथ भवन में किया। समणी सत्यप्रज्ञा जी और समणी रोहिणीप्रज्ञा जी ने श्रोताओं को बताया कि कार्मिक मान्यताएँ न केवल किसी के कार्यों की वैधता बल्कि उन कार्यों में शामिल होने के लिए व्यक्तियों के नैतिक और मनोवैज्ञानिक कारणों पर भी विचार करती हैं। महाप्रज्ञ जी के अनुसार कर्म का सिद्धांत जिसे कर्मवाद कहा जाता है, संपूर्ण जैन दर्शन का आधार है।
टीपीएफ, नागपुर के अध्यक्ष सीए प्रियंक जैन ने कर्म मनोविज्ञान पर प्रकाश डाला। जिसका शाब्दिक अर्थ है-‘कार्य’ और अधिक व्यापक रूप से कारण और प्रभाव, क्रिया और प्रतिक्रिया के सार्वभौमिक सिद्धांत का नाम है जो सभी जीवन को नियंत्रित करता है। सत्र के प्रमुख वक्ता राष्ट्रीय आध्यात्मिक संयोजक सीए आदित्य कोठारी थे। प्रेक्षा फाउंडेशन के राष्ट्रीय सह-संयोजक अमित जैन, टीपीएफ वीपी डॉ0 सुमिता जोगड़ और टीएमएम की पूर्व अध्यक्ष प्रेमलता सेठिया उपस्थित थे। सत्र में कर्म का सिद्धांत, मनोविज्ञान के स्वर में कर्म और विकेन्द्रीकृत आर्थिक प्रणाली पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की मेजबानी सीए रोहित कोचर ने की।
धन्यवाद ज्ञापन टीपीएफ, नागपुर के सचिव अधिवक्ता शिवली पुगलिया ने किया। इस ज्ञानोदय के लिए उन्होंने समानी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में टीपीएफ कार्य समिति के सदस्य दीपक पुगलिया, एम0के0 दुगड़, टीपीएफ नागपुर के संयुक्त सचिव मधु डागा, रत्ना जैन एवं सक्षम ने भाग लिया। कार्यक्रम में 40 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया।