संतों की संगत व वाणी का लाभ उठाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

संतों की संगत व वाणी का लाभ उठाएँ: आचार्यश्री महाश्रमण

वाणगाँव, 30 मई, 2023
तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः विहार कर अपनी धवल सेना के साथ वाणगाँव स्थित वाण गाँव एज्युकेशन सोसायटी के सरस्वती विद्यालय में पधारे।अमृत पुरुष ने अमृत वर्षा करते हुए फरमाया कि हमारे पास कर्णेन्द्रिय, श्रोतेन्द्रिय है। श्रोतेन्द्रिय जिनके पास होती है, वह प्राणी पंचेन्द्रिय ही होता है। हमारे पास कान दो हैं, मुँह एक है तो शिक्षा दी गई कि सुनो ज्यादा, बोलो कम। एक वाणी ऐसी होती है, जो स्थिति को बिगाड़ दे और एक वाणी ऐसी होती है कि वह कल्याणी बन सकती है।
एक प्रसंग से समझाया कि दूत योग्य होना चाहिए। दूत काम बना सकता है, तो बिगाड़ भी सकता है। वाणी ऐसी होनी चाहिए जिसमें माधुर्य हो, यथार्थत्य हो और मौके पर मौके के अनुरूप बात कही जाए। हम सुनें ज्यादा, बोलें कम। संतों की वाणी-संगत अच्छी होती है। उसका अच्छा लाभ उठाएँ। हम सुनकर ज्ञात कर लेते हैं, सुनकर कल्याण और पाप को भी जान लेते हैं। फिर जो श्रेयकर है, उसका अच्छा आचरण करना चाहिए। तीर्थंकर तो परमज्ञानी होते हैं। पर वर्तमान में भरत क्षेत्र में तो तीर्थंकर विद्यमान नहीं हैं। हम आचार्य से शुद्ध सम्यक् ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करें।
वाणी जो कल्याणी होती है, वो समाधान देने वाली होती है। दुखी आदमी को हम चित्त समाधि पहुँचाने का प्रयास करें। हमारी वाणी से किसी को कष्ट न हो। हमारी वाणी प्रिय हो। यथार्थ और प्रिय हो तो भाषा विभुषा बन जाए। वाणी शिष्ट, मिष्ट और विशिष्ट हो। वाणगाँव की जनता जैन-अजैन सभी में धार्मिक चेतना रहे, यह काम्य है। पूज्यप्रवर के स्वागत में अजयराज फूलफगर ने आज 25 की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। जैन समाज से सुंदर डागा, जैन सकल संघ से भागचंद धोका, स्कूल के चेयरमैन आनंद भाई एवं मुकेश कोठारी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल ने गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।