युग द्रष्टा युग स्रष्टा थे आचार्यश्री तुलसी

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युग द्रष्टा युग स्रष्टा थे आचार्यश्री तुलसी

टालीगंज, कोलकाता।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में श्रद्धार्पण समारोह व दीक्षार्थी मंगल भावना कार्यक्रम साउथ सिटी इंटरनेशनल स्कूल में हुआ। युगद्रष्टा, युगस्रष्टा, युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी विषय पर बोलते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि आचार्य तुलसी मानवता के मसीहा, शांति के पैगंबर व गतिशील धर्मसंघ के 9वें अधिशास्ता थे। वे द्रष्टा थे। उन्होंने युग को देखा, उस समय की परिस्थितियों का आकलन कर चारित्रिक उन्नयन व नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्य तुलसी युगस्रष्टा थे। उन्होंने युग का निर्माण किया। धर्म का संकीर्ण स्वरूप बदला उन्होंने अध्यात्म, नैतिकता, उपासना धर्म के तीन अंग बताए। उपासना पद्धति अलग-अलग हो सकती है।
गुरुदेव तुलसी ने लंबी-लंबी यात्राएँ करके मानवता की सेवा की है। समण श्रेणी उनके उर्वरा मस्तिष्क की देन है। मुनिश्री ने दीक्षार्थी बहनों के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना व्यक्त की। मुनि कुणाल कुमार जी ने मधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अभातेयुप के पूर्व अध्यक्ष रतन दुगड़ ने युग को पहचानने वाला, युग को देखने वाला, वह युग द्रष्टा होता है। जो युग का निर्माता है। नई दिशा की तरफ ले जाता है, वह युग स्रष्टा होता है। आचार्य तुलसी ने समाजोत्थान के अनेक रचनात्मक कार्य किए। कार्यक्रम के अतिथि तेरापंथ महासभा के कोषाध्यक्ष मदन मरोठी, तेरापंथ महासभा के पूर्व ट्रस्टी भंवरलाल बैद, अभातेयुप के सहमंत्री अनंत बागरेचा, दीक्षार्थी संजना पारख व अंकिता चोरड़िया, माणक डागा, मुमुक्षु खुशी सुराणा, साउथ इंटरनेशनल स्कूल के ट्रस्टी राजेंद्र बच्छावत, मनन बागरेचा आदि ने विचार रखे।
तेरापंथ सभा के सदस्यों द्वारा मधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेममं की बहनों के मंगल गीत से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ सभा के अध्यक्ष अशोक पारख व आभार राजीव दुगड़ ने किया। संचालन मुनि परमानंद जी व माणक डागा ने किया। सभा द्वारा दीक्षार्थी बहनों व अतिथियों का सम्मान भी किया गया।