संयम की साधना से गृहस्थ के जीवन में भी साधुपन  आ सकता है : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

संयम की साधना से गृहस्थ के जीवन में भी साधुपन आ सकता है : आचार्यश्री महाश्रमण

कांदिवली, 13 जून 2023
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी तीन दिवसीय प्रवास हेतु आज प्रात: मुंबई के उपनगर कांदिवली स्थित तेरापंथ भवन पधारे। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी भी लगभग 20 वर्ष पूर्व यहां पधारे थे। 
अमृत वर्षा कराते हुए परम पावन नेे फरमाया कि आदमी एक चिंतनशील प्राणी है। उसमें विवेकशक्ति भी होती है। बुद्धिमता का एक सिद्धांत बताया गया है कि थोड़े के लिए बहुत को नहीं खोना। जिस काम में लाभ हो या थोड़ा नुकसान लाभ ज्यादा हो, वह काम आदमी करे। जिसमें लाभ है ही नहीं या थोड़ा लाभ व ज्यादा हानि हो, वह कार्य करना बुद्धिहीनता की बात हो जाती है। एक तपस्वी साधु है, जिसके पास साधना, शील, संयम है, उसका बड़ा लाभ होता है। जो साधु भौतिक सुखों के लिए साधुत्व को छोड़ देता है, पुन: गृहस्थावस्था में चला जाता है, तो उसने थोड़े सुख के लिए कितनी बड़ी संपदा छोड़ दी। साधु की साधना रूपी संपदा के सामने भौतिक अमूल्य रत्न भी तुच्छ है। साधु के लिए निदान करना भी थोड़े के लिए बहुत खो देना हो जाता है।
गृहस्थ को भी भावों में साधुपन आ सकता है। गृहस्थ अवस्था में भी जितनी संभव हो संयम की साधना करने का प्रयास करना चाहिये। श्रावकत्व भी अच्छा आ जाता है। बारह व्रती और सुमंगल साधना से भी संयम की साधना हो सकती है। श्रावक धर्म आराधक के साथ धर्म प्रभावक भी हो सकता है। साधु भी कई धर्म प्रभावक होते हैं। गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत के द्वारा मानव के उत्थान का कार्य किया था और आज भी अणुव्रत के कार्य चल रहे हैं। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के साथ मैं भी पहले यहां आया था। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम भी उनकी सन्निधि में आये थे। 
मुंबई समाज में खूब अच्छी धर्म की जागृति बनी रहे। अवसर का अच्छा लाभ उठाने का प्रयास होता रहे।  साध्वी विद्यावतीजी ‘द्वितीय’, साध्वी सोमलताजी एवं साध्वी संयमलताजी के सिंघाड़ों ने पूज्यवर के दर्शन किये। साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने कहा कि जब आचार्यश्री महाप्रज्ञजी से राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम की यहां मुलाकात हुई थी तो उन्होंने कहा था कि मुझे यहां एक नया प्रकाश और ऊर्जा मिली है।  आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने अध्यात्म का निझर प्रवाहित किया था। पूज्यवर भी यहां पुष्कल संवर्ध महामेघ बनकर आये हैं। आपकी ऊर्जा से यहां वर्षों-वर्षों तक आध्यात्मिक सिंचन मिलेगा। 
पूज्यवर की अभ्यर्थना में साध्वी विद्यावतीजी ‘द्वितीय’, साध्वी सोमलताजी, साध्वी संयमलताजी के सिंघाड़ों ने अपने भावों व गीत से अभिव्यक्तियां दी।  पूज्यवर के स्वागत में तुलसी-महाप्रज्ञ फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद बोहरा एवं स्थानीय आमदार प्रकाश सुर्वे ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मंडल एवं तेरापंथ समाज, कांदिवली ने अलग-अलग स्वागत गीत प्रस्तुत किये। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा सुन्दर प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।